विस्तारित अवधि के पांच महीने बाद भी अधर में लटकी है सात साल पुरानी ‘मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना

पंचायत ऑब्जर्वर



झारखंड सरकार के द्वारा साल 2015 में ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक आधारित विकास की संभावनाओं को तलाशने के लिए मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना की शुरुआत की गयी थी. जिसके तहत राज्य के पांच गांवों का चयन किया गया था. चयनीत गाँवों में बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड स्थित बुंडू, पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड स्थित कातासोल, गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित शिवराजपुर, हजारीबाग के चुरचू प्रखंड स्थित चेनारो और रांची के बूढ़मू प्रखंड स्थित गिंजोठाकुर गांव हैं. इस योजना की विस्तारित अवधि जून, 2022 तय की गयी थी. जून माह में हुई विभागीय समीक्षा में यह बात सामने आयी कि मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना से बोकारो जिला का डीपीआर अभी तक नहीं मिला है. गुमला जिला का भी संशोधित डीपीआर अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. रांची जिला के डीपीआर की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है एवं प्रावधानित राशि का आवंटन निर्गत कर दिया गया है. वहीं, हजारीबाग जिला का भी डीपीआर स्वीकृत कर दिया गया है, राशि भी आवंटित कर दी गयी है. इसके अलावा पूर्वी सिंहभूम जिला का भौतिक व वित्तीय रिपोर्ट अभी तक विभाग को नहीं मिला है. परंतु विस्तारित अवधि के पांच महीने बाद भी यह योजना अधर पर लटकी है.

हालांकि ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ. मनीष रंजन ने जून माह के अंत तक हर हाल में मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना का कार्यान्वयन पूर्ण करने का निर्देश सभी जिला को दिया था. डॉ. मनीष रंजन की अध्यक्षता में जून माह में मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना की राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से किया गया था. विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों तथा चार्ज ऑफिसर सह प्रखंड विकास पदाधिकारियों की उपस्थिति में मनीष रंजन ने निर्देश दिया था कि ग्राम पंचायत के लिए स्वीकृत ग्राम विकास योजना के लंबित योजनाओं का कार्यान्वयन शीघ्रतापूर्वक पूरा किया जाए. उन्होंने निर्देश दिया था कि ‘मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना’ के अंतर्गत चयनित जिले बोकारो और गुमला से लंबित DPR को शीघ्र उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए. सचिव ने स्पष्ट कहा था कि सी.एम.एस.जी.वाई योजना की विस्तारित अवधि जून-2022 तक पूर्ण हो रही है, ऐसे में समयबद्ध रूप से योजना का कार्य पूर्ण करते हुए शत प्रतिशत राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग को उपलब्ध कराए. बता दें कि मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित ग्रामों का विकास करके उन्हें मॉडल गाँव बनाना था. इस योजना के तहत चयनित गाँवों में रहने वाले ग्रामीणों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी थी, ताकि उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।

 

ये थी योजना –
सौर ऊर्जा से बिजली और इंटरनेट का बढ़ाना था कवरेज

मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम योजना के तहत चयनित गाँव में स्थापित प्रज्ञा केंद्र स्मार्ट बनाए जाने थे. पंचायत सचिवालय में अधिकतर काम पेपरलेस होने थे. इसके लिए मोबाइल और इंटरनेट की बेहतर कनेक्टिविटी देने हेतू मोबाइल टावर की संख्या बढ़ाई जानी थी. सौर ऊर्जा से पुरे गाँव में बिजली के व्यवस्था की जानी थी. कृषि में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर किसानों के लिए फायदेमंद बनाया जाना था. योजना के लिए फंड की व्यवस्था भी सरकार ही करने वाली थी.

ग्रामीण सड़क योजना से बेरोजगारों को मिलने वाला था रोजगार
ग्रामीण क्षेत्र में बनने वाली सड़क की योजनाओ से बेरोजगारी दूर की जानी थी. बेरोजगारों को इस योजना के तहत सड़क बनाने का ठेका दिया जाता. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और राज्य संपोषित योजनाओं का काम स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर मिलने वाला था.

एक समान रेट होने पर लोकल कांट्रेक्टरों को मिलने वाला था मौका
इस योजना के तहत यह प्रावधान था कि ग्रामीण सड़क योजना के टेंडर में पुराने और नए कांट्रेक्टरों का रेट यदि एक समान हो तो उन्हें हीं प्राथमिकता दी जाए. गाँव के ही कांट्रेक्टरों को टेंडर मिलने से ग्रामीण लोगों का विकास होता.
सड़क निर्माण में तेजी
लोकल कांट्रेक्टरों को टेंडर में प्राथमिकता दिए जाने से गाँव के ही लोग सड़क योजना से जुड़ते. इससे सड़क निर्माण में ना केवल तेजी आती बल्कि गाँव के लोगों का विकास भी होता.