जमशेदपुर: सफलता की कहानी स्वच्छता की प्रेरक मिसाल बना जोदिशा

सुधीर पाल



हाथधोना उसकी आदत में शुमार है. साढ़े तीन साल की छवि रानी महतो बिल्कुल उसी ढंग सेहाथ धोती है, जैसा हर स्वच्छता अभियान मेंबताया जाता है. यह आदत केवल छवि रानी में ही शामिल नहीं है बल्कि पूर्वी सिंहभूमजिले के घाटशिला ब्लॉक के जोदिशा पंचायत के कमारिगोड़ा गाँव में उसके हमउम्रदर्जनों बच्चे मिल जायेंगे, जो आपको हाथ धोने की पूरीप्रक्रिया का प्रदर्शन कर सकते हैं.

हमारेकहने पर वह हाथ धोने का माक़ दिखाती और बोलती है, पहले साफ़ और कुनकुने पानी से हाथों को गीला करते हैं, थोड़ा सा साबुन लगाने के बाद, पानी से दूर अपनीहथेलियों को रगड़ते हैं. उंगलियों और अंगूठों और उनकी बीच के हिस्से को रगड़ते हैं.

थोडारूकती है छवि ....फिर उसका प्रदर्शन - हथेली को नाखूनों से खरोंचती है, हाथ के पीछे के हिस्से को रगड़ती है, बोलतीहैं- पानी से धोने के बाद साफ़ कपड़े से हाथ सुखाते हैं. छविरानी महतो की माँ शिखा रानी महतो कमारिगोड़ा गाँव की महिला समूह की सक्रिय सदस्य हैऔर तीन सालों से सी डब्लू एस संस्था द्वारा चलाये जा रहे पोषण एवं स्वच्छतागतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती रही है. शिखा रानी बताती हैं- अच्छी हाथस्वच्छता काफी हद तक हानिकारक बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं के फैलाव को कम कर सकतीहै, जो डायरिया, उल्टीऔर अन्य हानिकारक संक्रमण का कारण बनते हैं.बच्चे खाने के पहले और शौच के बादनियमित हाथ धोते हैं.

 

इसपंचायत में समुदाय के माध्यम से महिलाओं में स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण एवं व्यवहार परिवर्तन सेसंबंधित जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. सी डब्लू एस की राज लक्ष्मी कहतीहैं- समहू की दीदियों को स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण एवं व्यवहार परिवर्तन संबंधित जानकारी नियमित दी जाती है. ताकिसमूह की प्रत्येक महिला तक ये जानकारियां पहुंच सकें. प्रशिक्षण आयोजित किये जातेहैं और रंगीन फ्लिपचार्ट के माध्यम से स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण एवं व्यवहार परिवर्तन से संबंधित मुद्दों को समझाया जाता है.

गाँवमें स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वच्छता कीजानकारी देने से लोगों के जीवन में कई सकारत्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. गाँव कीसंगीता महतो कहती है इससे मातृत्व मृत्युदर में कमी आ रही है. आहार विविधता एवंव्यवहार परिवर्तन अपना कर पैसे की बचत एवं कुपोषण जनित रोगों से बचाव हो रहा है.वह कहती हैं कि सरकार का लक्ष्य है कि ग्रामीण महिलाओं तक स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पोषण की जानकारी पहुंचे और हम सी डब्लू एस संस्था के साथजुड़कर इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं. नियमित सामुदायिक बैठक के माध्यम से स्वच्छताएवं आहार विविधता से लाभ, व्यवहार परिवर्तन का अर्थ, शिशु को स्तनपान करने का महत्व, पूरकआहार, महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार, आदि के महत्व पर चर्चा की जाती है.

गाँवकी पोली रानी महतो कहती हैं, भले हमारे घरोंमें शौचालय नहीं है लेकिन हम स्वच्छता बरकरार रखने में कोताही नहीं बरतते हैं.गाँव में कचड़े के निपटान की व्यवस्था काफी बढ़िया है. मिटटी में मिलने योग्य कचड़ेको हम गड्डे में डाल देते हैं.यह वह प्रक्रिया है जिससे घरेलू कचरा जैसे घास, पत्तियाँ, बचा खाना, गोबर वगैरह का प्रयोग खाद बनाने में किया जाता है. गोबर और कूड़े-कचरेकी खाद तैयार करने के लिए गाँव में गड्ढा खोदे गए हैं. लोगों को समझाया गया है किगड्ढे में घरेलू कृषि, कूड़ा-कचरा एवं गोबर भूमि मेंगाड़ देना होता है. इससे करीब छह महीने में खाद तैयार हो जाता है. इसे खेती केउपयोग में लाया जाता है. कचरे से अच्छी खाद तैयार हो जाती है जो कि खेत की उपजबढ़ाने में सहायक है. बांकी कचड़े को समय-समय पर जला दिया जाता है.

गाँवमें पीने के पानी का स्त्रोत कुआँ और जल मीनार है. लोग घरों में पीने के पानी कोढँक कर रखते हैं और उबाल कर पीते हैं. इस छोटी किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारीको लोग अमल में ला रहे हैं, यह सी डब्लू एससंस्था की एक बड़ी उपलब्धि है. संगीता महतो कहती है- गाँवमें कोई भी घर ऐसा नहीं है, जहाँ पानी के सम्बन्ध में येतीन चीजें नहीं मिलेंगी. पीने का पानी हमेशा ढंका मिलेगा, गाँव में आपको गुनगुना पानी ही पीने को मिलेगा और तीसरी चीज़ सब्जीकाटने के बाद उसे धोना, यह कोई नहीं भूलता है.

पोलीरानी महतो कहती हैं- हमारे लिए खेद का विषय है कि हम खुले में शौच के लिए जातेहैं. बरसात के दिनों में या बीमारी या माहवारी के समय हमें काफी दिक्कत होती है.हम अपने पंचायत के मुखिया के माध्यम से लगातार विभाग से संपर्क कर रहे है. हमेंउम्मीद है आप जब अगली बार आयेंगे तो वाकई यह गाँव ओडीएफ होगा. स्वच्छता के मामलेमें हम हमेशा अग्रणी भूमिका में हैं और ग्रामीणों की जागरुकता, आत्मीय भागीदारी तथा विकास के लिए तत्परता से सहयोग प्रदान करने कीभावना की बदौलत उल्लेखनीय सफलता पायी जा सकी है.

गाँवमें सफाई एवं स्वच्छता व्यवहार परिवर्तन के लिये उपयोग में लाए जाने वाले हरछोटी-बड़ी पहल में सी डब्लू एस उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है. सी डब्लू एस की राज लक्ष्मी कहती हैं कि गाँव में स्वच्छता साधनों, घरों में स्वच्छता प्रथाओं तथा स्वच्छता योजनाओं के लिये उत्तरदायीसंस्थानों के कार्य में सुधार और तेज़ी लाने हेतु व्यवहार परिवर्तन को स्वच्छताकार्यक्रमों के एक आवश्यक घटक के रूप में देखा जाने लगा है.