गिरिडीह: समुदाय-आधारित पोषण-जाँच शिविर

अनु कुमारी



विभिन्न योजनाएं जैसे- जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, आंगनबाड़ी योजनाएं आदि बहुत हद तक माँ और बच्चे के स्वास्थ को सुनिश्चित करते हैं. पर अभी भी जनसँख्या का कुछ भाग इन सारी सुविधाओं से छुट जा रहा है और जो सुविधाएं और सहायता समय से माताओं को मिलनी चाहिए उनसे वो वंचित रह जा रही हैं. इसका सीधा असर उनके बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ रहा है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना कि किस तरह उन्हें भी ये सारी सुविधाएं दी जाएं भी किसी मुहिम से कम नही है.
ऐसी हीं एक मुहिम का कार्यभार गिरिडीह जिले की अभिव्यक्ति संस्था ने संभाल रखा है. दरअसल अभिव्यक्ति संस्था ने स्वयं सेवी संस्था डब्लू.एच.एच. के सहयोग से “पोषण अभियान” के तहत साल 2018 से हीं गिरिडीह के गांडेय और बेंगाबाद प्रखंड में कुपोषण के खिलाफ जंग छेड़ रखी है. संस्था के संटू अधिकारी जी बताते हैं कि विगत तीन सालों में उन्होंने कुल 70 सामुदायिक पोषण जाँच शिविर का आयोजन किया है जिसके तहत 1303 बच्चों की पूर्ण जाँच की गयी है. जाँच के दौरान बच्चों के सभी पोषण जांच जैसे- वजन माप, मानसिक क्षमता और साथ ही बढ़ती उम्र के साथ आवश्यक पोषण की जांच की जाती है. साथ हीं उनके दैनिक जीवन में घरेलु और व्यक्तिगत साफ़-सफाई की आदतों की भी परख की जाती हैं.
संटू जी आगे कहते हैं कि हम बच्चों की जांच कर के उन्हें पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य तब तक नहीं दे सकते हैं जब तक उनके घर के लोगों को पोषण से सबंधित जानकारी ना हो इसीलिए वे लोग बच्चों की माँ को भी विस्तारित रुप से सारी जानकारी देते हैं. माताओं को उचित पोषण के लिए जरुरी सब्जियों, फलों, दालों और नुट्रीमिक्स आदि की जानकारी दी जाती है. माताओं को पोषित भोजन जैसे- नुट्रीमिक्स, कद्दू का हलवा, बेसन और साग-सब्जियों वाला पोषित चिल्ला आदि बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि बच्चों को घर पर हीं उचित पोषाहार मिल सके. ये भोजन बहुत ही कम खर्च में बनने वाले और पोषक तत्वों से भरे होते हैं. जैसे- 250 ग्राम कद्दू के हलवे में 339.2 kcal ऊर्जा, 19 ग्राम प्रोटीन और 38 माइक्रो ग्राम विटामिन A होता है. ये पोषक तत्व बच्चों के उचित पोषण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.

शिविर के बाद संस्था के साथी नियमित रुप से घर-घर जा कर बच्चे की जाँच करते हैं. समय-समय पर उनकी स्थिति में हो रहे सुधार का अवलोकन भी किया जाता है. यदि किसी बच्चे की स्थिति बहुत अधिक खराब होती है तो उन्हें उचित उपचार के लिए गिरिडीह जिले में स्थित कुपोषण उपचार केन्द्रों में संस्था के सहयोग से इलाज की सुविधा भी सुनिश्चित की जाती है. शिविर में आये बहुत सारे बच्चों की सही देखभाल और भोजन में परिवर्तन से उनके स्वास्थ में काफी सुधार आया है. हरलाडीह गाँव की मधु मरांडी बतातीं हैं कि पहले हमारे भोजन का हिस्सा केवल चावल और सादी सब्जी हुआ करती थी, जिससे बच्चे कमजोर हो जाये करते थे. अब अभिव्यक्ति सस्था से प्राप्त प्रशिक्षण के बाद हमें तिरंगा भोजन और फलों और सब्जियों का महत्व पता चला है. अब गाँव के हर घर के लोग अपने घर में पोषणयुक्त आहार का सेवन करते हैं. बच्चों की स्वास्थ्य में बहुत अंतर आया है. घर की और व्यक्तिगत साफ सफाई तथा भोजन में विभिन्नता के मामले में भी अब लोग सुधार कर रहे है और इसका असर वो खुद अपनी जीवनशैली में भी महसूस कर रहे हैं.