कोयले की काली कमाई पर राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है

सुधीर



कोयले की काली कमाई पर राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है
धनबाद लोक सभा चुनाव में भाजपा के पक्षधर अगड़े-पिछड़े और बाहरी-भीतरी की राजनीति करने वाले दुलु महतो को बढ़ावा देने वाल वाले भाजपा के कदम को खतरनाक बताया हैं।   
भाजपा के कोर वोटर कायस्थ, राजपूत, भूमिहार और ब्राम्हण खास तौर पर दुलु के उम्मीदवार बनाने को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। झारखंड के छह सामान्य सीटों में कायस्थ को कहीं से भी उम्मीदवार भाजपा ने नहीं बनाया है। हज़ारीबाग़ के सांसद जयंत सिन्हा का टिकट काटकर मनीष जाइसवाल को टिकट दिया गया। चतरा से एक भूमिहार कालीचरण सिंह और गोड्डा से ब्रामहन निशिकांत दुबे को भाजपा ने टिकट दिया है।
लेकिन धनबाद में दुलु का मामला सिर्फ उनके दबंग या बाहरी- भीतरी की राजनीति मात्र से जोड़कर देखना ठीक नहीं होगा।यह लड़ाई दरअसल कोयले की काली कमाई पर वर्चस्व की है। धनबाद के कोयला कारोबार पर राजपूतों का ही दबदबा है।कोयलइरी होने के नाते काफी संख्या में यहाँ बिहार और उत्तर प्रदेश से आकार लोग बसे हैं। एक समय राजपूतों का इस कारोबार पर वर्चस्व था। 2007-08 में दुलु महतो का राजनीति में उदय हुआ। राजनीति में इन्होंने बाहरी-भीतरी का नारा बुलंद किया और आने वाले दिनों में यह उनका सफल मॉडेल बना। राजनीति में पैर जमाने के साथ-साथ दुलु ने bccl के कोयला कारोबार के गढ़ों को छीनना शुरू किया। राजपूतों के गढ़ में सेनघमारी करते हुए इन्होंने 12 में से पाँच एरिया में कब्जा कर लिया।
धनबाद में राजनीति की धुरी कोयला के काली कमाई के इर्द-गिर्द घूमती है। यह करोड़ों का खेल है और इसमे जिसका सिक्का चलता है वही धनबाद पर राज करता है। कोयला कारोबारियों को डर है कि सांसद बनने के बाद दुलु का शिकंजा और कसेगा।
धनबाद की ज्यादातर जमीन cnt के दायरे में आती है। जाहिर है कि बाहर से आकार बसे अधिकतर cnt जमीन पर बस्ने कि अहर्ता नहीं रखते हैं।दुलु महतो cnt जमीन पर अतिक्रमण खत्म करने के लिए जमीन पर लड़ाई लड़ते रहे हैं। चुनाव के अभियान में भी उन्होंने कहा है कि बाहरी लोग जो cnt जमीन पर हैं गलत हैं।
भाजपा द्वारा स्वर्णों कि उपेक्षा और दुलु महतो के दबंगई और कोयला कारोबार में कब्जा ने राजपूतों, भूमिहारों, कायस्थों और ब्राम्हनों को एकजुट कर दिया है। धनबाद में लगबहग पौने दो लाख कायस्थ वोटर हैं।राजपूत, भूमिहारों और ब्राम्हनों की संख्या भी काफी बेहतर है। माहौल ऐसा बन गया है कि दुलु जीते तो लोगों को भागे का अभियान चलाएंगे। काँग्रेस उम्मीदवार अनुपमा सिंह के पक्ष में अगड़ों का polarisiation हो रहा है।
ऐसा कहा जा रहा है कि जयंत सिन्हा के टिकट काटने और कायस्थ को कहीं भी टिकट नहीं दिए जाने से क्षुब्ध यशवंत सिंह और जयंत सिन्हा इस मसले को हवा दे रहे हैं। धनबाद के विधायक राज सिन्हा और पूर्व सांसद जयंत सिन्हा को तो पार्टी कि और से कारण बटाटो नोटिस भी जारी किया गया है। आरोप है कि भाजपा के लिए ये दोनों  सक्रिय नहीं है।               
इसमे कोई राय नहीं कि दुलु दबंग हैं और इनके खिलाफ दर्जनों आपराधिक मामले चल रहे हैं। कम से कम अभी तक धनबाद का सांसद स्वाक्ष छवि का ही रहा है। यह पहली बार है जब भाजपा ने तमाम विरोध को पीछे छोड़ते हुए दुलु को आगे रखा है। देखना है यह जिद क्या रंग लाती है।