निरंतर कार्यक्रम यह मानता है कि, किसी NGO की दीर्घकालिक स्थिरता और प्रभाव के लिए एक मजबूत बोर्ड अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान में 30 साझेदार संगठनों में कुल 227 बोर्ड सदस्य कार्यरत हैं, जिनमें 49.38% महिला सदस्य हैं, आंकड़ा के आधार पर 97.93% बोर्ड सदस्य ऐसे हैं जो कि , संस्था के मुख्य कार्यकारी (Chief Functionary) के रिश्तेदार नहीं हैं।
अतीत में, कई जमीनी स्तर पर काम कर रही संस्थाओं में बोर्ड की भागीदारी औपचारिक नहीं रही है। अक्सर प्रक्रियाएँ संरचित नहीं होतीं और बोर्ड सदस्यों के बीच भूमिकाओं व जिम्मेदारियों की स्पष्ट समझ का अभाव देखा गया है। इसका परिणाम यह होता है कि निगरानी, अनुपालन और रणनीतिक दिशा में चुनौतियाँ आती हैं, जिससे संगठन अपने मिशन को प्रभावी ढंग से पूरा नहीं कर पाता।
निरंतर कार्यक्रम की नवाचारपूर्ण पहल इन कमियों को सीधे संबोधित करती है और जमीनी NGOs के बीच बोर्ड की भूमिका को लेकर सोच और कार्यप्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है। यह पहल न केवल सुशासन को प्रोत्साहित करती है, बल्कि संगठन की पारदर्शिता, जवाबदेही और दीर्घकालिक विकास की राह भी प्रशस्त करती है।
निरंतर कार्यक्रम का एक प्रमुख घटक NGO बोर्ड सदस्यों के लिए एक व्यापक सुशासन प्रशिक्षण था, जिसे दो अलग-अलग चरणों में प्रदान किया गया, जिसे दो अलग-अलग चरणों में प्रदान किया गया। यह कई बोर्ड सदस्यों और उनके संगठन के मुख्य कार्यकर्ताओं के लिए एक नया अनुभव था, क्योंकि पहली बार उन्हें अपने बोर्ड से जुड़ी जिम्मेदारियों पर औपचारिक प्रशिक्षण मिला।
प्रशिक्षण मॉड्यूल अत्यंत सावधानी से तैयार किए गए थे ताकि बोर्ड की कार्यप्रणाली और संगठन की परिपक्वता से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जा सके, जिससे सहभागियों में ज्ञान का बेहतर आत्मसात हो। प्रशिक्षण में भाग लेने वालों ने अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को गहराई से समझा। वे केवल सतही जानकारी तक सीमित नहीं रहे, बल्कि अपने वित्तीय (fiduciary) और रणनीतिक (strategic) दायित्वों की गहराई तक जाकर उन्हें निभाने की क्षमता विकसित की।
प्रशिक्षण में प्रभावी बोर्ड संरचना के महत्व पर भी जोर दिया गया और विभिन्न मॉडलों तथा अलग-अलग संगठनात्मक संदर्भों में उनकी उपयुक्तता पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें समिति गठन, बैठक प्रोटोकॉल और स्पष्ट जवाबदेही की रेखाओं की स्थापना जैसे विषय शामिल थे।
प्रशिक्षण का एक बड़ा हिस्सा निगरानी प्रक्रियाओं पर केंद्रित रहा, विशेष रूप से अनुपालन (compliance), वित्तीय प्रबंधन और संगठन के समग्र कार्यों से जुड़े पहलुओं पर। इससे बोर्ड सदस्यों को आवश्यक ज्ञान और उपकरण प्राप्त हुए, जिससे वे अपने संगठन की गतिविधियों की प्रभावी निगरानी कर सकें और सुनिश्चित कर सकें कि वे कानूनी आवश्यकताओं, नैतिक मानकों और वित्तीय अनुशासन का पालन कर रहे हैं।
निरंतर कार्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत इसकी सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप में लागू करने की क्षमता है। यह समझते हुए कि केवल प्रशिक्षण से स्थायी बदलाव संभव नहीं होता, ध्वनि फाउंडेशन (DF) ने बोर्ड की बैठकों से पहले कोचिंग सत्र और बोर्ड बैठकों के बाद समीक्षा सत्र को कार्यक्रम में शामिल किया। इन व्यावहारिक हस्तक्षेपों ने बोर्ड सदस्यों को वास्तविक समय में समर्थन और फीडबैक प्रदान किया, जिससे वे अपने सीखे हुए ज्ञान को तुरंत व्यावहारिक परिस्थितियों में लागू कर सके और सुशासन की आदतों को मजबूती से विकसित कर सकें।
बोर्ड प्रैक्टिस (Board Practice)
वित्तीय अवलोकन (Financial Overview)
अनुपालन अवलोकन (Compliance Overview)
कार्यक्रम योजना और प्रगति (Program Planning and Progress)
कार्यक्रम में शामिल NGOs ने बोर्ड बैठक के एजेंडा के साथ बोर्ड सदस्य को औपचारिक पत्र भेजना शुरू कर दिया है, जो बेहतर पेशेवर ढांचे और योजना का स्पष्ट संकेत है। रणनीति और अनुपालन से जुड़ी चर्चाओं के साथ सक्रिय भागीदारी और बैठक में उपस्थिति 90% से अधिक बढ़ी है। यह छोटा सा बदलाव दरअसल संरचित सुशासन की ओर एक मौलिक बदलाव को दर्शाता है।
वे बोर्ड सदस्य, जिन्हें पहले अपनी भूमिका को लेकर अस्पष्ट समझ थी, अब आत्मविश्वास और स्पष्टता के साथ अपनी जिम्मेदारियों को व्यक्त कर रहे हैं। यह बढ़ी हुई समझ सीधे तौर पर बैठकों में उनकी भागीदारी को बेहतर बनाती है, जहाँ सदस्य चर्चा और निर्णय-प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं।
अब बोर्ड सदस्य वित्तीय रिपोर्टों की गहराई से समीक्षा करने, संचालन से जुड़े निर्णयों पर सवाल उठाने और संबंधित नियमों का पालन सुनिश्चित करने में अधिक दक्ष हो गए हैं। वे संगठन की सभी नीतियों को पढ़ते हैं, बोर्ड अनुमोदन प्रक्रिया से पहले आवश्यकता के अनुसार प्रतिक्रिया देते हैं, परियोजना स्थलों का दौरा कर प्रभाव का अनुभव करते हैं, समुदाय की चुनौतियों को समझते हैं और फील्ड स्टाफ को प्रेरित करते हैं।
यह बढ़ी हुई सतर्कता सीधे तौर पर NGO की विश्वसनीयता में योगदान करती है और जोखिमों को कम करती है। बोर्ड सदस्यों में बढ़ा हुआ आत्मविश्वास शायद सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक है, जो उन्हें अपने संगठन को चुनौती देने, मार्गदर्शन देने और प्रभावी रूप से सहयोग करने की क्षमता प्रदान करता है।
अच्छे सुशासन प्रथाओं के हिस्से के रूप में शुरू किया गया उपदेशक कार्यक्रम विशेष रूप से बोर्ड सदस्यों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है, ताकि वे स्वतंत्र बोर्ड सदस्य, सलाहकार या मेंटर के रूप में NGOs की सेवा कर सकें और मौजूदा बोर्ड सदस्यों की क्षमता निर्माण के माध्यम से NGO के सुशासन को मजबूत कर सकें।
अब तक झारखंड में 9 स्वतंत्र बोर्ड सदस्य/उपदेशक नियुक्त किए जा चुके हैं, जो सभी प्रो बोनो (निःशुल्क) आधार पर संस्था को सहयोग दे रहे हैं।
ध्वनि फाउंडेशन का निरंतर कार्यक्रम यह उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे बोर्ड सुशासन में की गई रणनीतिक पहल संगठनात्मक बदलाव को गति दे सकती है। जमीनी स्तर पर काम कर रहे NGO बोर्ड सदस्यों को आवश्यक ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास प्रदान करके यह कार्यक्रम न केवल इन संस्थाओं की विश्वसनीयता को बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में लचीला भी बना रहा है। औपचारिक सुशासन संरचनाओं और पारदर्शी रिपोर्टिंग ने NGOs की सरकारी संस्थाओं और दानदाताओं के बीच स्थिति को मजबूत किया है। बेहतर जोखिम प्रबंधन और अनुपालन निगरानी ने NGOs को नीति परिवर्तनों और फंडिंग चक्रों के बीच मार्गदर्शन प्रदान किया है। रणनीतिक योजना ने ऐसे कार्यक्रम मॉडल विकसित किए हैं जिन्हें विस्तार दिया जा सकता है—कई NGOs ने सेवाओं का विस्तार पड़ोसी जिलों तक कर दिया है। मजबूत सुशासन ढाँचा जवाबदेही, पारदर्शिता और संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करता है, जो फंडिंग आकर्षित करने और जनविश्वास बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
अंततः यह पहल झारखंड में कार्यरत इन 30 जमीनी NGOs की दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की मजबूत नींव तैयार कर रही है। ध्वनि फाउंडेशन का निरंतर कार्यक्रम यह सिद्ध कर चुका है कि प्रभावी बोर्ड संरचनाएँ और प्रक्रियाएँ केवल प्रशासनिक औपचारिकताएँ नहीं हैं, बल्कि NGO के रूपांतरण का शक्तिशाली माध्यम हैं।
जैसे-जैसे झारखंड की जमीनी संस्थाएँ पेशेवर मानकों को अपनाती हैं, वे स्थायी विश्वसनीयता, मजबूत संचालन और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। ध्वनि फाउंडेशन का यह सफल मॉडल न केवल स्थानीय स्तर पर असरकारक है, बल्कि पूरे NGO क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसे भारत के विकास क्षेत्र में अन्य जगहों पर भी दोहराया और लागू किया जा सकता है।
(लेखक ध्वनि फाउंडेशन, झारखंड के स्टेट हेड हैं)