आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल और प्रिवेंशन ऑफ़ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एंड प्लांट्स के प्रतिनिधि सुनील आनंद ने बरियार नामक पौधे के औषधीय महत्व और इसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया।
उन्होंने सोमवार को बताया कि बिहार में बरियार को आयुर्वेदिक दृष्टि से बला कहा जाता है और इसका मानव स्वास्थ्य में विशेष महत्व है। इसका सेवन केवल मान्यता प्राप्त चिकित्सा के पर्यवेक्षण में ही किया जाना चाहिए, क्योंकि इसकी शक्तिशाली औषधीय गुणों के कारण इसकी अनुपयुक्त खुराक हानिकारक हो सकती है। बिहार के गांवों में गर्मी के दिनों में महिलाएं इसके काढ़े का प्रयोग पैर में जलन या अन्य समस्याओं में करती हैं। इसके अलावा, यह पौधा जीतीया पर्व में पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भी उपयोग में आता है।
सुनील आनंद ने कहा कि बरियार का औषधीय महत्व अत्यधिक व्यापक है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाने, थकान दूर करने और वात-पित्त दोषों को संतुलित करने में सहायक है। इसके सेवन से श्वसन (सांस से संबंधित) परेशानी बेहतर होती है और अस्थमा, सूखी खांसी एवं ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यह त्वचा रोगों को ठीक करने और घावों को भरने में मदद करता है। महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने में भी यह उपयोगी है और पुरुषों में शक्ति बढ़ाने में सहायक है। इसके अलावा, बरियार के कायाकल्प गुण तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करते हैं और मानसिक दुर्बलता में लाभकारी होते हैं।
सुनील आनंद ने लोगों से अपील किया कि यदि यह पौधा घर में नहीं लगाया जा सकता तो इसे किसी सुरक्षित बाहरी स्थान पर जरूर रखा जाना चाहिए। जैव विविधता के संरक्षण के लिए इन औषधीय पौधों को बचाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भले ही इसका नियमित सेवन न किया जाए, लेकिन आने वाले समय में वैज्ञानिक जांच और चिकित्सा उपयोग के लिए इसे संरक्षित रखना बहुत जरूरी है। इस पहल से न केवल मानव स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी और जैव विविधता की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।