ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्लेज फाइनेंसिंग की क्रेडिट गारंटी योजना देगी किसानों को वित्तीय मदद



फसल कटाई के बाद सीजीएस-एनपीएफ वित्तपोषण और कृषि सहायता के लिए 1,000 करोड़

भारत सरकार ने ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्लेज फाइनेंसिंग (सीजीएस-एनपीएफ) के लिए क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की। फसल कटाई के बाद के किसानों को वित्तीय मदद देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का कोष प्रदान किया गया। इस योजना के तहत किसान इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीदों (ई-एनडब्ल्यूआर) से समर्थित भंडारण विकास और नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा मान्यता प्राप्त गोदामों में संग्रहित अपनी उपज को गिरवी रखकर ऋण प्राप्त कर सकते हैं। संकटग्रस्त बिक्री को कम करने के उद्देश्य से यह पहल कृषि वित्त व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण अंतर को दूर करती है। साथ ही गोदाम पंजीकरण और कृषि भूमि के करीब विकास को प्रोत्साहित करती है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने भी डब्ल्यूडीआरए से अपनी पहुंच बढ़ाने और अधिक गोदामों को मान्यता सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
यह पहल भारतीय कृषि को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक प्रयासों का समर्थन करती है, जो वित्त वर्ष 24 में मौजूदा कीमतों पर समग्र सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 17.7% का योगदान देती है। यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, जो लगभग आधी आबादी को रोजगार देता है और दुनिया के सबसे बड़े कृषि भूमि क्षेत्रों में से एक से लाभान्वित होता है। इसके महत्व को पहचानते हुए सरकार उत्पादकता बढ़ाने, वित्तीय सहायता प्रदान करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाले उपक्रमों के माध्यम से किसान कल्याण को प्राथमिकता देना जारी रखती है। सीजीएस-एनपीएफ योजना किसानों को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भर भारत की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करती है।

सीजीएस-एनपीएफ योजना का अवलोकन

ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्लेज फाइनेंसिंग के लिए क्रेडिट गारंटी योजना ने विभिन्न हितधारकों, विशेषकर बैंकिंग क्षेत्र से महत्वपूर्ण मांग प्राप्त की है। फसल कटाई के बाद ई-एनडब्ल्यूआर पर ऋण में वृद्धि करके, इस योजना का उद्देश्य किसानों की आय में सुधार करना और संस्थागत ऋण तक उनकी पहुंच बढ़ाना है। समावेशिता पर केंद्रित यह योजना मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) किसानों को न्यूनतम गारंटी शुल्क के साथ लाभान्वित करती है। यह छोटे व्यापारियों (एमएसएमई), किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान सहकारी समितियों को भी अपने लाभ प्रदान करता है। यह योजना समान वित्तीय पहुंच का समर्थन करते हुए छोटे ऋणों के लिए उच्च गारंटी कवरेज सुनिश्चित करती है।

अन्य प्रमुख कृषि ऋण एवं वित्तीय सहायता योजनाएं

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी)
1998 में शुरू की गई किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना किसानों को उनकी उत्पादन आवश्यकताओं के लिए कृषि इनपुट्स (फसलों, जानवरों के उत्पादन एवं रखरखाव) और नकदी तक आसान पहुंच प्रदान करती है। फरवरी 2019 में आरबीआई ने पशुपालन और मत्स्यपालन को उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए केसीसी सुविधा प्रदान की। 31 मार्च 2024 तक 7.75 करोड़ सक्रिय केसीसी खाते हैं।
संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस)
संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) किसानों को फसल और संबद्ध गतिविधियों के लिए रियायती अल्पकालिक कृषि-ऋण प्रदान करती है, 3.00 लाख रुपये तक के ऋण पर 7% ब्याज दर प्रदान करती है, समय पर पुनर्भुगतान के लिए अतिरिक्त 3% अनुदान के साथ प्रभावी दर को घटाकर 4% कर देती है। एमआईएसएस में केसीसी वाले छोटे किसानों के लिए एनडब्ल्यूआर पर फसल के बाद के ऋण भी शामिल हैं। 2014-15 से कृषि के लिए संस्थागत ऋण प्रवाह 2023-24 तक 8.5 लाख करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना बढ़कर 25.48 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि आसान और रियायती फसल ऋणों का वितरण 6.5 लाख करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक बढ़कर 15.07 लाख करोड़ रुपये हो गया है। केसीसी के माध्यम से ब्याज सब्सिडी 2023-24 में 6,000 करोड़ रुपये से 2.4 गुना बढ़कर 14,252 करोड़ रुपये हो गई है।
ई-एनडब्ल्यूआर आधारित प्लेज फाइनेंसिंग (सीजीएस-एनपीएफ) के लिए ऋण गारंटी योजना का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य फसल के बाद के वित्तपोषण को बढ़ाना और किसानों के लिए संकटग्रस्त बिक्री को कम करना है। 1,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ यह योजना छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं और अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए ऋण तक अधिक पहुंच प्रदान करके कृषि अर्थव्श्वस्था में एक महत्वपूर्ण अंतर को दूर करती है।
सीजीएस-एनपीएफ योजना सरकार के व्यापक कृषि सहायता ढांचे का पूरक है, जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) जैसी अन्य प्रमुख पहल शामिल हैं। ये योजनाएं सामूहिक रूप से किसानों को सशक्त बनाती हैं, कृषि उत्पादकता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती हैं, जिससे आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होती है। जैसे-जैसे अधिक किसान इन योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं, भारत में एक सुदृढ़ व आत्मनिर्भर कृषि क्षेत्र का दृष्टिकोण तेजी से साकार होता जा रहा है।
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