मंईयां सम्मान योजना झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की महत्वाकांक्षी योजना है। इसे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखने के बजाय राज्य के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में देखने की आवश्यकता है। यह योजना दरअसल उन महिलाओं का सम्मान है जिनके लिए एक बूंद पानी भी सागर का अहसास करा जाता है। शायद इसी लिए मंईयां सम्मान योजना की सराहना भी की जा रही है। पर इसके आलोचकों की भी कमी नहीं है। इनमें जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो भी हैं। हो सकता है, इसकी आलोचना करने के पीछे उनकी व्यक्ति सोच हो सकती है। या फिर कोई राजनीतिक सोच उन्हें ऐसा सोचने को विवश कर रही हो। पर संपादक के नजरिये से मैं इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का एक सकारात्मक विजन समझ सकता हूं। हो सकता है कि जेएलकेएम प्रमुख इसे अलग चश्मे से देख रहे हों। इसी विषय को लेकर श्री जेम्स हेरेंज ने अपनी कलम चलाई है। - संपादक
झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा के नेता और डुमरी विधायक जयराम महतो ने विधान सभा में पूरक बजट पर प्रस्ताव के दौरान 18 से 30 वर्ष तक की महिलाओं को मईया सम्मान राशि नहीं देने की मांग की है. इन्होंने इसके तीन मुख्य कारण गिनाए हैं पहला कि मईया सम्मान की राशि महिलाओं को निकम्मा और आलसी बना देगी, दूसरा कि महिला सम्मान योजना युवतियों के प्रतिभा का हनन है और तीसरा कि लड़कियां मईया सम्मान की राशि को लुभावने कार्य में खर्च करेंगी। जयराम ने इस उम्र वर्ग की महिलाओं को मईया सम्मान की राशि छात्रवृति के रूप में देने का सुझाव दिया है।
मईया सम्मान योजना पर जयराम के विचार से स्पष्ट है कि जयराम न सिर्फ झारखंड की लाखों मजदूर वर्ग की महिलाओं की जरूरत,पीड़ा और आकांक्षाओ से अनभिज्ञ हैं बल्कि उनकी सोच पुरुषवादी मानसिकता को भी दर्शाती है।
एनीमिया की शिकार महिलाएं निकम्मा कैसे बनेंगी?
झारखंड में 18 से 49 वर्ष की लगभग 65% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं।एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में आयरन की कमी हो जाती है जिसके कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और व्यक्ति थका हुआ और कमजोर महसूस करता है व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और याददाश्त की कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं। व्यक्ति के सोचने और समझने की शक्ति एवम शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
एनीमिया की समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को बहुत कम होती है इसका एक मुख्य कारण है, महिलाओं में पीरियड के दौरान खून की कमी हो जाना, जिससे शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। इस कमी के कारण एनीमिया का खतरा बढ़ता है। इसलिए एनीमिया को रोकने के लिए आयरन युक्त आहार का सेवन करना आवश्यक है। आर्थिक कमजोरी के कारण मजदूर वर्ग की महिलाएं इन आहार का सेवन नहीं कर पाती हैं।
सवाल यह है कि जिस राज्य में महिलाओं की एक बड़ी आबादी खून में आयरन की कमी के कारण पूरी शारीरिक और मानसिक क्षमता ही नहीं विकसित कर पाई है उन्हे अगर आर्थिक सहयोग देकर यह कमी पूरी की जाए तो उन्हें यह निकम्मा और आलसी बनाएगा या शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त और स्वस्थ बनाएगा?
क्या घरेलू कामगार के रूप में ही दिखेगी झारखंड की युवतियों की प्रतिभा?
मईया सम्मान की राशि पर जयराम कहते हैं कि लड़कियों को 2500 रू देना उनकी प्रतिभा का हनन है उनकी प्रतिभा को नकारात्मक दिशा में ले जाने का कार्य किया जा रहा है। जयराम को शायद इस बात की जानकारी नहीं है कि झारखंड की लाखों लड़कियां महानगरों में मजबूरन घरेलू कामगार के रूप में कार्यरत हैं. जहां उन्हें मात्र 6 से 8 हजार रुपए में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताणित हुए उन्हें 10 से 12 घंटा कार्य करना पड़ता है। मईया सम्मान की राशि झारखंड की युवतियों को एक इस शोषणकारी कार्य से आजादी दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
जयराम शायद झारखंड के इस कड़वे सच से अंजान हैं, उन्हें झारखंड के मजदूर वर्ग के महिलाओं की पीड़ा और समस्या को और जानने और समझने की जरूरत है।
मईया सम्मान की राशि से अनावश्यक खर्च का डर क्यों?
महिला सम्मान की राशि 18 से 30 वर्ष की महिलाओं को देने पर आपत्ति करते हुए जयराम कहते हैं कि वे उस पैसे को ऐसे कार्यों में खर्च करेंगी जो लुभावनी होगी। हालाकि जयराम ने स्पष्ट नहीं किया कि लुभावना कार्य क्या होगा लेकिन शायद उन्हें इस बात की आशंका है कि इस राशि को लड़कियां अनावश्यक खर्च करेंगी। यह एक पुरुषवादी रूढ़िवादी मानसिकता है जो लडकियों को निर्णय की आजादी नहीं देना चाहता, जो महिलाओं के विवेक और निर्णय लेने को शंका की दृष्टि से देखता है, जो उनकी स्वायत्ता से खौफ खाता है, जो महिलाओं को समाज और परिवार की अस्मिता मानकर उनकी पैरों में बेड़ीया जकड़ना चाहता है, जो चाहता है कि महिलाओं का निर्णय उनके नियंत्रण में हो और महिलाएं पूरी तरह पुरुषों की निगरानी में रहें।
मईया सम्मान को छात्रवृत्ति के रुप में देने का सुझाव अव्यवहारिक
जयराम का कहना है कि युवतियों को मईया सम्मान की राशि छात्रवृति के रूप में दी जाए। लेकिन झारखंड में उच्च शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी मात्र लगभग 28% है। ऐसे में जयराम का यह प्रस्ताव अव्यवहारिक है क्योंकि ऐसा करने से कई कॉलेज नहीं जाने में असमर्थ लड़कियां योजना के लाभ से वंचित हो जाएंगी।
मईया सम्मान योजना न सिर्फ़ आर्थिक विमर्श को समाज और राजनीति के केंद्र में ले आई है बल्कि योजना के विमर्श ने नारीवाद का भी आर्थिक आधार तैयार किया है।
मजदूरों के हित की बात करने वाला व्यक्ति भी पुरुषवादी हो सकता है और शहरों के सभागारों में स्वयं को नारीवादी कहने वाला व्यक्ति भी मजदूर वर्ग का विरोधी हो सकता है।
मईया सम्मान योजना पर विमर्श दोनों तरह के सोच को सामने ला रहा है।
मईया सम्मान योजना के प्रत्यक्ष राजनैतिक और आर्थिक परिणाम तो दिख ही रहे हैं लेकिन इस योजना पर सामाजिक राजनैतिक विमर्श समाज में एक नई सोच गढ़ रहा है जो कई स्थापित सोचों को ध्वस्त कर सकता है।