हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का विस्तार अनुसूचित जनजातियों तक किया जाये, सुप्रीम कोर्ट का आग्रह




सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी महिलाओं के विरासत अधिकारों का बड़ा सम्मान किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में संसद से आग्रह भी किया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का विस्तार अनुसूचित जनजातियों तक किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कमला नेति बनाम लाओ (2023) के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि "केंद्र सरकार के लिए इस मामले को देखने और यदि आवश्यक हो, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने का उच्च समय है जिसके द्वारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होता है।
हाई कोर्ट के फैसले की चुनौती याचिका पर सुनवाई
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित अनुसूचित जनजाति 'सवारा जनजाति' से प्रतिवादियों (आदिवासी महिलाओं) को संपत्ति का अधिकार दिया था।
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि प्रतिवादी के पिता की मृत्यु 1956 से पहले हुई थी, इसलिए, उनके पास कोई विरासत अधिकार नहीं था।
अपीलकर्ता के तर्क को खारिज करते हुए, हाईकोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत उत्तरजीविता लाभ को प्रतिवादी तक पहुंचाने के लिए न्याय, इक्विटी और अच्छे विवेक के सिद्धांतों का आह्वान किया।
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