केन्द्र ने भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी कर बताया देश के वन आवरण में 1445 वर्ग किमी की हुई वृद्धि 



केन्द्र सरकार ने भारत की वन स्थिति रिपोर्ट 2023 रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट बताती है कि देश के वन एवं वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है। इसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक वन आवरण में अधिकतम वृद्धि चार राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ 684 वर्ग किमी के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किमी), ओडिशा (559 वर्ग किमी) और राजस्थान (394 वर्ग किमी) हैं।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान में रिपोर्ट जारी करते हुए खुशी जतायी कि 2021 की तुलना में देश के कुल वन एवं वृक्ष क्षेत्र में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। इस मौके पर उन्होंने उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा वास्तविक समय की आग की चेतावनी और वन अग्नि सेवाओं पर भी प्रकाश डाला।
एफएसआई रिमोट सेंसिंग उपग्रह डेटा और क्षेत्र आधारित राष्ट्रीय वन सूची (एनएफआई) की व्याख्या के आधार पर देश के वन एवं वृक्ष संसाधनों का गहन मूल्यांकन करता है और परिणाम भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) में प्रकाशित होते हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 इस शृंखला की 18वीं ऐसी रिपोर्ट है। रिपोर्ट के अनुसार देश का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76 प्रतिशत) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41 प्रतिशत) वृक्ष आवरण है। वन आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले तीन राज्यों में मिजोरम 242 वर्ग किमी के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद गुजरात (180 वर्ग किमी) और ओडिशा (152 वर्ग किमी) हैं।
क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे अधिक वन और वृक्ष आवरण वाले तीन राज्यों में मध्य प्रदेश 85,724 वर्ग किमी के साथ तीसरे स्थान पर है। उसके बाद अरुणाचल प्रदेश 67,083 वर्ग किमी और महाराष्ट्र 65,383 वर्ग किमी हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे अधिक वन आवरण वाले शीर्ष तीन राज्य- मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग किमी, अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग किमी) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग किमी) हैं।

वृक्ष आवरण में मध्यप्रदेश सबसे आगे

रिपोर्ट के मुताबिक भौगोलिक दृष्टि से लक्षद्वीप 91.33 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक वन आवरण वाला केंद्रशासित प्रदेश है। उसके बाद मिजोरम (85.34 प्रतिशत) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप (81.62 प्रतिशत) का स्थान है। वर्तमान मूल्यांकन के मुताबिक 19 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आवरण के तहत आते हैं। इनमें से आठ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 75 प्रतिशत से अधिक वन आवरण है। इन राज्यों में मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल मैंग्रोव आवरण 4,992 वर्ग किमी है। इसके साथ रिपोर्ट में बढ़ते स्टॉक, वनों के बाहर पेड़ों की सीमा, मैंग्रोव कवर, बांस के संसाधन और वन कार्बन स्टॉक के आकलन का अनुमान लगाया गया है। भारत के वन और वनों के बाहर पेड़ों का कुल बढ़ता हुआ स्टॉक 6430 मिलियन घन मीटर अनुमानित है, जिसमें से 4479 मिलियन घन मीटर वनों के अंदर और 1951 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर है। पिछले आकलन की तुलना में कुल बढ़ते स्टॉक में 262 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें जंगल के अंदर 91 मिलियन घन मीटर और वन क्षेत्र के बाहर 171 मिलियन घन मीटर की वृद्धि शामिल है।
देश के लिए बांस वाले क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किमी अनुमानित किया गया है। 2021 में किए गए अंतिम आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है। जंगल के बाहर पेड़ों से लकड़ी का कुल वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है। वर्तमान आकलन से पता चलता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन तक पहुंच गया है।
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