देश में, खासकर झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर काफी हो-हंगामा मचा हुआ है। हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इसे अपना चुनावी एजेंडा तक बना लिया था। चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हों, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह हो, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा हो, इसके अलावा भी झारखंड और झारखंड के बाहर के नेताओं ने अपने चुनावी भाषणों में बांग्लादेशी घुसपैठ मुद्दे को खूब उछाला। हालांकि इसका फायदा भाजपा को नहीं मिला और उसे विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। असल वास्तविकता क्या है, कोई नहीं जानता, लेकिन एक वास्तविकता यह भी है कि जिस मुद्दे को हवा केन्द्र सरकार के शीर्ष नेताओं ने दिया, उनके पास ही इसकी जानकारी नहीं है और ना ही कोई डाटा। जी हां, आपने सभी सुना, केन्द्र सरकार के पास बांग्लादेशी घुसपैठियों को कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। और इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी से हो चुका है। परन्तु प्रमुख भाजपा नेताओं बांग्लादेशी घुसपैठियों का जो हौव्वा खड़ा किया था, वह प्रयास अब भी जारी है।
झारखंड जनाधिकार महासभा की कोर कमेटी ने मांगी थी जानकारी
झारखंड जनाधिकार महासभा की कोर कमेटी के सदस्य सिराज दत्ता ने बांग्लादेशी घुसपैठ से संबंधित जानकारी सूचना अधिकार अधिनियम के तहत गृह मंत्रालय से मांगी थी। सिराज दत्ता ने 4 अक्टूबर 2024 को आरटीआई आवेदन देकर पूरे देश के लिए यह जानकारी मांगी कि बांग्लादेशी घुसपैठ की राज्यवार स्थिति क्या है। परन्तु हैरत की बात यह है कि उनका आवेदन तीन महीनों में गृह मंत्रालय के विभिन्न विभागों- नागरिकता प्रकोष्ठ, विदेशी प्रकोष्ठ, प्रवासी प्रकोष्ठ, आव्रजन ब्यूरो, खुफिया विभाग में घूमता रहा। सभी विभागों से यही जानकारी दी गयी कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है। झारखंड जनाधिकार महासभा की ओर से पूरे देश के लिए राज्यवार बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या, लैंड जिहाद के मामले, लव जिहाद के मामले और इन मामलों के विरुद्ध गृह विभाग की कार्रवाई से सम्बंधित जानकारियां मांगी गयी थीं। परन्तु गृह मंत्रालय का जवाब यह साफ दर्शाता है कि किस प्रकार भाजपा ने धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए झारखंड चुनाव के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ का हव्वा खड़ा किया, उसकी हवा निकल चुकी है।
प्रशासन भी मानता है कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं ं
यहां यह भी बता दें कि बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में भी याचिका दायर है। अदालत ने जब स्थानीय प्रशासन से इसका ब्यौरा मांगा तब उनका भी यही जवाब था कि क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं है। राष्ट्रीय पत्रकारों ने भाजपा द्वारा आदिवासी महिलाओं से कथित रूप से बांग्लादेशी मुसलमानों की शादी की सूचना को भी जांच में सही नहीं पाया गया। चुनाव आयोग द्वारा बनायी गई टीम (जिसमें भाजपा के सदस्य भी थे) ने जांच में कुछ नहीं पाया था। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने भी उच्च न्यायालय में सबंधित पीआईएल में माना है कि भूमि विवाद मामलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ कोई जुड़ाव नहीं मिला था।