झारखंड राज्य के पांचवी अनुसूची क्षेत्र (शिड्यूल एरिया) में उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को पेसा कानून के तहत नियमावली बनाने का निर्णय दिये जाने के बाद पर राज्य सरकार द्वारा पहल करते हुए नियमावली बनाने की प्रकिया शुरु हो गई है. इसके लिए सुझाव भी लिया गया है. पंचायती राज विभाग द्वारा ड्राफ्ट भी तैयार कर ली गई है. इसको लेकर आदिवासी समुदाय में भी बहस तेज हो गई है. इसमें कोई पी-पेसा की बात कर रहा है,कोई पेसा कानून - 1996 की मांग कर रहा है, कोई पंचायती राज अधिनियम (जेपीआरए-1) में ही पेसा के प्रावधानों को लागू करने की बात कर रहा है. इसी विषय पर सार्थकता पूर्वक विचार विमर्श करने के लिए एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया है. यह कार्यक्रम 13 जनवरी दोपहर 12 बजे अभिवादन बैंक्वट हाल, मोरहाबादी में आयोजित किया गया है. विभिन्न आदिवासी संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस परिचर्चा में सभी आदिवासी बुद्धिजीवियों,संवैधानिक जानकारों, विशेषज्ञों, आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं,आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है.यह जानकारी आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने दी।