झारखंड की आदिवासी संस्कृति में देसी शराब रची-बसी हुई है। हड़िया के साथ महुआ शराब की खपत भी राज्य में खूब है। इसी को लक्ष्य करके और इसकी उपयोगिता को देखते हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार एक नयी योजना पर काम करना शुरू किया है। राज्य सरकार अब महुआ शराब बनाने की फैक्टरी लगाकर महुआ शराब बेचने की शुरुआत करेगी। इसके लिए मद्य निषेध और उत्पात विभाग बकायदा वृहद प्लांट लगाने पर विचार कर रहा है।
यह जानकारी राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने प्रोजेक्ट भवन में बजट पूर्व गोष्ठी के दौरान दी। उन्होंने कहा कि उत्पात विभाग के एक्सपर्ट की ओर से विचार आए हैं। इस पर सरकार विचार करेगी।
मंत्री ने कहा कि चूंकि 'महुआ' का सेवन स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में किया जाता है, इसलिए गोवा की तर्ज पर विभाग विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर सकता है ताकि लोगों को अधिक परिष्कृत महुआ पेय उपलब्ध कराया जा सके। इससे राज्य सरकार को राजस्व बढ़ोतरी में मदद भी मिलेगी।
ऊर्जा के लिए यूरेनियम का इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि गोष्ठी में कई एक्सपर्ट ने झारखंड में जल्द कोयला की उपलब्धता समाप्त होने का अंदेशा जाहिर किया। ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार राज्य में मौजूदा यूरेनियम का उपयोग बिजली उत्पादन में करने पर सहमति जताई है। राज्य में यूरेनियम प्लांट लगाने पर भी सहमति बनी है।
मंत्री ने कहा कि अब तक जो विभिन्न सुझाव आए हैं उनमें यह भी शामिल है कि डीजल की कीमतों को कम किया जा सकता है। और उत्तर प्रदेश के बराबर लाया जा सकता है जिससे मांग बढ़ेगी और राजस्व में वृद्धि होगी।
बिजली संय्त्र स्थापित करने पर चर्चा
उन्होंने कहा कि राज्य के आंतरिक संसाधनों के माध्यम से बिजली संयंत्र स्थापित करने के विकल्प पर भी चर्चा की गयी, क्योंकि ऊर्जा विभाग राज्य में पिक लोड मांगों को पूरा करने के लिए औसतन 600 करोड़ रुपये प्रति माह का भुगतान कर रहा है जो कि 2900 मेगावाट है।
मंत्री ने कहा कि अधिकारियों को उत्पाद शुल्क विभाग के तहत लक्ष्यों पर फिर से विचार करने के लिए भी कहा गया, जो वर्तमान में इस वित्तीय वर्ष के लिए 2700 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य सालाना 8,000 रुपये कमा रहे हैं जबकि हरियाणा उत्पाद शुल्क से सालाना 5,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाता है, जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है। बैठक में मंत्री राधा कृष्ण किशोर के अलावे खास तौर पर ऊर्जा विभाग, शिक्षा विभाग पथ निर्माण विभाग, भू राजस्व विभाग समेत अन्य विभाग के प्रधान सचिव और अन्य अधिकारी पदाधिकारी मौजूद थे।