गणतंत्र दिवस पर दिखेगी कल्पवृक्ष से लेकर सोने की चिड़िया तक: की भारत की रचनात्मकता की झलक



गणतंत्र दिवस पर संस्कृति मंत्रालय की भव्य झांकी भारत की सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मकता का एक शानदार उत्सव है। प्रधानमंत्री के मंत्र ‘विरासत भी, विकास भी’ से प्रेरित यह झांकी देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सतत विकास की अपार संभावनाओं को बखूबी प्रदर्शित करती है।
“गणतंत्र दिवस पर संस्कृति मंत्रालय की झांकी हमारे देश की विविधता, रचनात्मकता और विकास का उत्सव है। प्रधानमंत्री के मूल मंत्र ‘विरासत भी, विकास भी’ से प्रेरित यह झांकी 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने का संदेश देती है।
कुम्हार के चाक पर खूबसूरती से रखा गया प्राचीन तमिल संगीत वाद्य ‘याध’ हमारी संगीत परंपरा की गहराई और निरंतरता का प्रतिनिधित्व करता है। इस बीच, गतिशील कल्पवृक्ष, जो ‘गोल्डन बर्ड’ में बदल जाता है, रचनात्मकता और प्रगति का प्रतीक है।
डिजिटल स्क्रीन प्रदर्शन कला, साहित्य, वास्तुकला, डिजाइन और पर्यटन की विविधता को प्रदर्शित करती हैं। यह झांकी हर भारतीय को अपनी विरासत पर गर्व करने और उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए आमंत्रित करती है।”
झांकी की मुख्य झलकियां
कुम्हार के चाक पर याध: एक प्राचीन तमिल संगीत वाद्ययंत्र, जो भारत की संगीत परंपराओं की गहराई और निरंतरता का प्रतीक है।
गतिशील कल्पवृक्ष: रचनात्मकता से भरी एक जीवंत संरचना जो ‘स्वर्ण पक्षी’ में बदल जाती है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक प्रगति का प्रतीक है।
डिजिटल स्क्रीन: प्रदर्शन कला, साहित्य, वास्तुकला, डिजाइन और पर्यटन जैसे रचनात्मक क्षेत्रों की विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाली दस डिजिटल स्क्रीन।
यह झांकी न केवल भारत के गौरवशाली अतीत को दर्शाती है, बल्कि एक शक्तिशाली और रचनात्मक भविष्य की कल्पना भी करती है। यह हर भारतीय को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने और विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए आमंत्रित करती है। इससे एक उज्जवल, अधिक समावेशी भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है।
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