पंचायती राज व्यवस्था में कर्नाटक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, झारखंड ने कई श्रेणियों में किया शानदार प्रदर्शन



केन्द्रीय पंचायती राज तथा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने नयी दिल्ली में ‘राज्यों में पंचायतों का अंतरण की स्थिति-एक सांकेतिक साक्ष्य आधारित रैंकिंग’ शीर्षक से रिपोर्ट का अनावरण किया। इस कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज, पंचायती राज मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सुशील कुमार लोहानी, नीति आयोग के सलाहकार ाी राजीव सिंह ठाकुर, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) नई दिल्ली के फैकल्टी सदस्य शामिल हुए।

कैसा रहा झारखंड का प्रदर्शन?

भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड रैंकिग में भले ही नीचे है, लेकिन पंचायती राज व्यवस्था (फ्रेमवर्क) की स्थिति मजबूत है। यहां के पंचायत व्यवस्था के क्रियान्वयन को कमजोर माना गया है। जबकि झारखंड के पंचायतों की आधारभूत संरचना को अच्छा माना गया है। यहां उपलब्ध संसाधन को करीब 44 फीसदी स्कोर मिला है। ई-कनेक्टिविटी को 25 फीसदी स्कोर दिया गया है। जबकि उपलब्ध मैनपावर में शून्य स्कोर दिया गया है। क्षमता वर्द्धन (कैपिसिटी बिल्डिंग) के मामले में झारखंड की स्थिति बहुत ही अच्छी मानी गयी है। 
कुल मिलाकर रिपोर्ट के अनुसार सभी मामलों में झारखंड को कुल 27.7 फीसदी स्कोर दिया गया है। सभी श्रेणियों में इसमें सबसे अधिक करीब 66.2 फीसदी स्कोर यहां के पंचायती राज व्यवस्था के फ्रेमवर्क को मिला है। मंत्रालय के 2024 तक कराये गये सर्वे रिपोर्ट में झारखंड की पंचायत के फंक्शन (कार्य प्रणाली) को 22.3 फीसदी स्कोर दिया गया है।  पंचायती राज मंत्रालय ने झारखंड में पंचायती राज व्यवस्था को जवाबदेही (एकाउंटिबिलिटी) के मामले में 16.5 फीसदी स्कोर मिला है. इसमें सबसे अच्छी स्थिति कर्नाटक की बतायी गयी है. इसमें कर्नाटक को 81 फीसदी स्कोर मिला है। यहां पंचायती राज व्यवस्था के सोशल आॅडिट को मात्र सात फीसदी अंक मिला है। ग्राम सभा को 25 फीसदी का स्कोर दिया गया है. पारदर्शिता और भ्रष्टाचार में भी मात्र चार फीसदी ही स्कोर मिला है. पंचायतों में होने वाले इंसेंटिव को भी बहुत प्रभावी नहीं माना गया है।

भारत सरकार की रिपोर्ट में झारखंड को मिले स्कोर
  • आयाम : स्कोर (100 में)
  • फ्रेमवर्क :66.2
  • फंक्शन : 23.2
  • वित्त :14.3
  • एकाउंटिबिलिटी :16.5
  • कैपिसिटी बिल्डिंग :24.7
  • पदाधिकारी : 24.8

उत्तर प्रदेश 15वें स्थान से उछलकर 5वें स्थान पर पहुंचा 

आईआईपीए में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि भारत के समग्र, समावेशी और सतत विकास के लिए पंचायत अंतरण सूचकांक महत्वपूर्ण है। यह न केवल उम्दा प्रदर्शन करने वाले राज्यों को प्रेरित करता है बल्कि राज्य सरकारों को ऐसा माहौल बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है जो ग्रामीण स्थानीय निकायों को सशक्त बनाता है। उत्तर प्रदेश की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पिछले सूचकांक में 15वें स्थान से उछलकर यूपी अब 5वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि उत्तर प्रदेश आगे बढ़ता है तो राष्ट्र आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए विशेष रूप से गर्व हो रहा है कि उत्तर प्रदेश की सफलता की कहानी विशेष उल्लेख के योग्य है। 15वें से 5वें स्थान पर इसकी छलांग वास्तव में उल्लेखनीय है। उत्तर प्रदेश राज्य ने नवीन पारदर्शिता पहल और मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के माध्यम से अपने जवाबदेही तंत्र में क्रांति ला दी है। प्रो. बघेल ने सभी राज्यों से समाज के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को सक्रिय रूप से लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर विवादों को सुलझाने में पंचायतों ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे कहा कि पंचायत भवनों को ग्रामीण विकास के केंद्र के रूप में काम करना चाहिए, क्योंकि उनमें केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत योजना और अन्य सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के तहत लाभार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करने की क्षमता है। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. बघेल ने सुझाव दिया कि ये पंचायत भवन गांवों में पेंशन, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य बुनियादी सुविधाएं जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के केंद्र के रूप में कार्य कर सकते हैं। प्रो. एसपी सिंह बघेल ने किसी भी वित्तीय अनियमितता या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों को हस्तांतरित धन के उपयोग की निगरानी के महत्व पर भी जोर दिया।
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को समग्र पंचायत अंतरण सूचकांक के साथ-साथ निम्नलिखित छह आयामों में से प्रत्येक के आधार पर रैंक किया गया था :
1. रूपरेखा
2. कार्य
3. वित्त
4. कार्यकारी (पदाधिकारी)
5. क्षमता वृद्धि
6. जवाबदेही (तंत्र)

रिपोर्ट की मुख्य बातें

1. आईआईपीए द्वारा तैयार नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि 2013-14 से 2021-22 की अवधि के बीच अंतरण 39.9% से बढ़कर 43.9% हो गया है।
2. 21.4.2018 को राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के शुभारंभ के साथ इस अवधि के दौरान सूचकांक का क्षमता वृद्धि घटक 44% से बढ़कर 54.6% हो गया है, जो 10% से अधिक की वृद्धि है।
3. इस अवधि के दौरान भारत सरकार और राज्यों ने पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को भौतिक बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं और ग्रामीण स्थानीय निकायों को मजबूत करने के लिए अधिकारियों की भर्ती की है, जिसके परिणामस्वरूप पदाधिकारियों से संबंधित सूचकांक के घटक में 10% से अधिक (39.6% से 50.9%) की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
4. पंचायत अंतरण सूचकांक में शीर्ष 10 राज्य (डीआई स्कोर > 55) हैं
1.  कर्नाटक
2. केरल
3. तमिलनाडु
4. महाराष्ट्र
5. उत्तर प्रदेश
6. गुजरात
7. त्रिपुरा
8. राजस्थान
9. पश्चिम बंगाल
10. छत्तीसगढ़
50 और 55 के बीच स्कोर के साथ आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा, ‘मध्यम स्कोरिंग राज्यों’ की श्रेणी में आते हैं, जिनका सभी उप-संकेतकों में सराहनीय प्रदर्शन दिखता है।
5. सफलता की कहानियां परिवर्तनकारी बदलाव को दर्शाती हैं।
उत्तर प्रदेश की 15वें से 5वें स्थान तक की उल्लेखनीय यात्रा केंद्रित शासन सुधारों की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण है। राज्य ने नवीन पारदर्शिता पहल और मजबूत भ्रष्टाचार-विरोधी उपायों के माध्यम से वित्तीय जवाबदेही और लेखापरीक्षा अनुपालन में नए मानक स्थापित करके अपने जवाबदेही तंत्र में क्रांति ला दी है। इसी तरह विशेषकर राजस्व सृजन और राजकोषीय प्रबंधन में त्रिपुरा की 13वें से 7वें स्थान पर प्रभावशाली छलांग दशार्ती है कि कैसे छोटे राज्य भी स्थानीय प्रशासन में उत्कृष्टता हासिल करने में समान रूप से सक्षम हैं।
6. अंतरण सूचकांक : ओवरआॅल
सूचकांक छह पहचाने गए आयामों पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए समग्र स्कोर और रैंक प्रस्तुत करता है। छह आयामी उप-सूचकांकों के भारित एकत्रीकरण के आधार पर, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए समग्र डीआई की गणना की जाती है और इसे ग्राफिक-1 के रूप में नीचे दिया गया है:

पंचायतों का हस्तांतरण सूचकांक

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2: रूपरेखा: अनिवार्य रूपरेखा से संबंधित इस सूचक में केरल पहले स्थान पर है।

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कार्य: तमिलनाडु ने कार्यात्मक अंतरण में मानक स्थापित किया है
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वित्त: कर्नाटक अनुकरणीय वित्तीय प्रबंधन कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करता है
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कार्यकारी : कार्मिक प्रबंधन और क्षमता निर्माण में गुजरात अग्रणी है
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क्षमता निर्माण: तेलंगाना संस्थागत मजबूती का रास्ता दिखाता है
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