उज्जवला योजना केंद्र की महज चुनावी योजना - वित्त मंत्री ने केन्द्र पर बोला हमला



बजट सत्र में वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने केन्द्र सरकार की उज्जवला योजना को लेकर केंद्र सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि यह योजना केवल चुनाव जीतने वाली योजना थी। उन्होंने कहा कि 38 लाख 44 हजार 961 करोड़ रुपए की यह योजना केंद्र सरकार ने बंद कर दी। उन्होंने कहा कि इससे गरीबों का चूल्हा बंद हो गया। उन्होंने कहा कि झारखंड को दी जानेवाली अनुदान की राशि में केंद्र सरकार धीरे धीरे कमी करती जा रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य में पेयजलापूर्ति के लिए जल जीवन मिशन के तहत बकाया छह हजार करोड़ रुपए नहीं दिए। इसके अलावा वृद्धावस्थार, विधवा और दिव्यांग लोगों की पेंशन के लिए भी एक अरब 41 करोड़ रुपए केंद्र ने नहीं दिया।

मनरेगा में बकाया 11 सौ करोड़ नहीं दिया

वित्ता मंत्री ने कहा कि मनरेगा का काम कर जीविका चलानेवाले लोगों की राशि को भी केंद्र सरकार ने रोक रखा है। उन्होंने कहा कि इसके तहत मैटेरियल के मद में छह सौ करोड़ और मजदूरी के मद में 500 करोड़ केंद्र ने झारखंड को नहीं दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष कहता है कि केंद्र सरकार राज्य को भरपूर पैसे दे रही है, यह कहना बिल्कुल निराधार है। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष मार्च तक बजट की सभी राशि खर्च कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्व से ही राज्य में राजस्व संग्रह की स्थिति खराब है। उन्होंने कहा कि 2019-20 में राजस्व संग्रह 75.75 प्रतिशत था, जबकि सिर्फ जनवरी माह तक ही यह 65.54 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वर्ष के अंत तक 80 से 85 प्रतिशत हो जाएगा।

फाइलों तक सिमटा एसटी परिषद

वित्त मंत्री ने विपक्ष पर राज्य के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जातियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंंने कहा कि पूर्व की अर्जुन मुंडा सरकार में एसटी और एससी की स्थिति में सुधार के लिए अनुसूचित जनजाति परामर्शदातृ परिषद का गठन किया गया था, ले‍किन तत्काालीन रघुवर सरकार ने इसे सक्रिय नहीं किया। वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा का जनजातीय प्रेम केवल उसके घर में खाना खाने तक ही सीमित है।

सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करेगी सरकार

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक श्वेेता सिंह के मामले को सरकार ध्यान देगी। विधायक श्वेता सिंह ने सदन में कहा था कि डीसी फोन नहीं रिसिव करती हैं और पूछने पर चिल्लाने लगती हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या कोई विधायक अधिकारी को समस्या नहीं बता सकता है। उनकी इस बात पर विधायक उमाकांत रजक ने भी सहमति जताई और अधिकारियों के ऐसे आचरण पर सरकार को गंभीर होने का आग्रह किया।
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