मंईयां योजना के पैरलल दूसरी योजनाओं को लाने की विधानसभा में उठ रही मांग



झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में झारखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में एक दूसरे पर पलटवार चल रहा है। विधानसभा में सत्ता पक्ष जहां अपने उन वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता जता रही है, वहीं विपक्ष सरकार के आगे नयी-नयी मांगें रखकर उसकी मुश्किलें बढ़ा रहा है। भाजपा की ओर से दिव्यांग पेंशन बढ़ाने की मांग की मांग उठी है। भाजपा विधायकों ने इस मांग को लेकर वेल में पहुंचकर हंगामा किया।
बजट सत्र के दौरान भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने 'मंईयां योजनां' की तर्ज पर सहिया और रसोईया को 2500 रुपये मानदेय देने की मांग उठायी। विधानसभा में कुछ महीनों से बंद वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, सर्वजन पेंशन तथा अन्य पेंशन की राशि को फिर से जारी करने और उस राशि को बढ़ाने की मांग हो रही है।
इसके जवाब में मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि मंईयां योजना का उद्देश्य पीढ़ी दर पीढ़ी सुधार लाना है और इसे विधवा या वृद्धा पेंशन से तुलना नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि इस योजना के माध्यम से कुपोषण की रोकथाम, बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार तथा पलायन पर नियंत्रण संभव हो रहा है।
चमरा लिंडा ने उदाहरण देते हुए कहा कि आदिवासियों में कुपोषणा का मामला अधिक है। मंईयां योजना के पैसे से मां और बच्चे दोनों के कुपोषण को रोका जा सकेगा। वहीं स्वास्थ्य पर बात करते हुए कहा कि मां के पास पैसा होगा तो वो अपने बच्चों का इलाज करा पायेगी। एजुकेशन पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि अगर एक मां अपने बच्चे को पढ़ाना चाहती है तो यह तभी संभव है, जब उसके पास पैसा होगा।
चमरा लिंडा ने कहा कि मंईयां योजना के पैसे से पीढ़ी दर पीढ़ी को बेहतर करने वाली योजना है। इस योजना से राज्य में व्यापक परिवर्तन आयेगा। आने वाले कल में झारखंड से गरीबी, कुपोषण और स्वास्थ्य बेतहर होगा। विधवा या वृद्धा पेंशन एकल योजना है। लेकिन मंईयां योजना का पैसा पूरे समाज के लिए है। एक महिला अगर बेहतर होगी तो पूरा समाज बेहतर होगा, लेकिन एक पुरुष बेहतर होता तो सिर्फ उसका घर बेहतर होता है।
इतना ही नहीं, भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सदन में सवाल उठाया कि रसोईयां और स्वास्थ्य सहियाओं को कम जबकि बिना काम करने वाली महिलाओं को अधिक लाभ क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस असमानता के कारण महिलाओं में विवाद उत्पन्न हो रहा है।
भाजपा विधायक के सवालों का समर्थन करते हुए सत्ता पक्ष के कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव ने भी अपनी ही सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि सैलरी काम के आधार पर और पेंशन प्रोत्साहन के लिए दी जाती है, लेकिन मंईयां योजना में बिना काम करने वाली महिलाओं को 2500 रुपये और काम करने वाली महिलाओं को कम राशि मिलना अनुचित है। उन्होंने सरकार से इस नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की।
सहारा के निवेशकों के लिए झारखंड सरकार संवेदनशील
सदन में झारखंड के वैसे निवेशकों का भी मसला उठा, जिन्होंने सहारा इंडिया में निवेश किया था पर पैसे अबतक नहीं मिले। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने इस संबंध में बात उठाते कहा कि सरकार पोर्टल ऐसा बनाए जिस पर निवेशक अपने निवेश की जानकारी और उससे संबंधित स्थिति देख सकें। इस पर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बताया कि वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण जजमेंट दिया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने वर्ष 2023 से जनवरी 2025 तक कई बार सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी को पत्र लिखा है पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। अब सरकार कुछ अधिकारियों (एक या दो) को जवाबदेही दी जायेगी कि वे इससे संबंधित विस्तृत सूचना जुटाएं।
इसके बाद कृषि विभाग की ओर से विभागीय मंत्री शिल्पी नेहा ने 31 मार्च 2026 को समाप्त होनेवाले वर्ष के भीतर भुगतान के दौरान जो व्यय होगा, उसकी पूर्ति के लिए 24 अरब 21 लाख 08 लाख 16 हजार रुपए से अनाधिक राशि प्रदान करने की मांग सदन के पटल पर रखी, जिसे स्वीकृत कर लिया गया।
किसानों से धान खरीद के समय 10 प्रतिशत की कटौती का मामला उठा
वहीं विधायक हेमलाल मुर्मू ने राज्य के किसानों से धान खरीद के समय 10 प्रतिशत की कटौती किये जाने का मामला उठाया। इस पर खाद्य आपूर्ति मंत्री इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार के निर्धारित प्रावधानों का हवाला देते बताया कि धान की नमी, गुणवत्ता के आधार पर धान की खरीद होती है।
राज्य जनजातीय आयोग का गठन का मामला उठा
विधायक राजेश कच्छप ने राज्य में राज्य जनजातीय आयोग का गठन किये जाने संबंधी मामला उठाया। इस पर मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि अगले तीन माह के भीतर इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी। विधानसभा के अगले सत्र से पूर्व यह आयोग अस्तित्व में होगा।
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