छत्तीसगढ़ में उड़ा लोकतंत्र का मजाक, ६ महिला पंचों की जगह उनके पतियों को दिलायी गयी शपथ 



छत्तीसगढ़ से लोकतंत्र को शर्मिंदा करने वाली बेहद शर्मनाक घटना सामने आयी है। यहां पंचायत चुनाव में 6 महिलाएं चुनाव जीतती हैं, लेकिन शपथ उनके पति लेने पहुंचते हैं। अब अजब घटना का गजब वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है, लोग इसके मजे भी ले रहे हैं। मामले को तूल पकड़ता देख जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
घटना छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के एक गांव की है। इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। पंडरिया विकासखंड के परसवारा ग्राम पंचायत में घटी इस घटन के बारे में कबीरधाम जिला पंचायत के सीईओ अजय त्रिपाठी ने बताया कि परसवारा गांव में पंचायत प्रतिनिधियों के शपथ ग्रहण का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसके बाद पंडरिया जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
घटना इस प्रकार है, जिले में हाल ही में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण उनके संबंधित क्षेत्रों में पहली बैठक के दौरान हुआ। परसरवारा ग्राम पंचायत में चुने गए 11 वार्ड पंचों में छह महिलाएं शामिल हैं, जबकि सरपंच पुरुष है। पंचायत सचिव ने इन छह महिला पंचों की जगह उनके पतियों और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों को पद की शपथ दिलाई। वीडियो में सभी पुरुष सदस्यों को शपथ लेते देखा जा सकता है।
इस घटना पर लोग अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि कुछ स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को महिला सशक्तीकरण का मजाक बना दिया है। वे दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह गलत उदाहरण पेश करेगा और इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा मिल सकता है। 
जब ग्राम पंचायत के सचिव प्रवीण ठाकुर से इस सम्बंध में पूछा गया तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके द्वारा महिला पंचों के पतियों को शपथ नहीं दिलाई गई है। वे खुद ही आकर खड़े हो गए थे. तो उन्हें भगाया भी नहीं जा सकता था. सरपंच के साथ पुरुष पंचों को ही शपथ दिलवाई गई है। लेकिन तस्वीरों और वीडियो में कहीं से देखने में ऐसा नहीं लगता कि पंचों के पति सिर्फ आकर खड़े हो गये। इस सम्बंध में जब महिला पंचों से पूछा गया तो उनमें से कुछ का कहना था कि उन्हें शर्म आ रही थी, इसलिए वे शपथ लेने नहीं गयीं। क्या आपको नहीं लगता कि हमारे देश में लोकतंत्र का मजाक नहीं उड़ रहा है।
 
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