झामुमो का कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपन पहला संबोधन दिया. वे भाजपा पर जमकर प्रहार किया. कहा कि झारखंड में आरएसएस का एजेंडा नहीं चलेगा. झारखंड में लागू नहीं होगा वक्फ बोर्ड संशोधन बिल. उन्होंने कहा कि लंबी यात्रा के बाद वे यहां तक पहुंचे हैं. अभी और लंबी यात्रा तय करनी है. झामुमो फिर से लंबी यात्रा के लिए आगे बढ़ेगा. रांची के खेलगांव में पार्टी के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन का आयोजन किया गया.
यूं नहीं बन जाता है कोई गुरूजी
हेमंत सोरेन ने कहा कि शिबू सोरेन कभी परिचय के मोहताज नहीं थे. शिबू सोरेन को गुरुजी बना दिया गया. इस राज्य की जनता ने ये किया है. उस मान-सम्मान का कर्ज इन्होंने वापस भी किया. इस राज्य की जनता के लिए इन्होंने अपनी जवानी, बुढ़ापा सब कुर्बान कर दिया. हर वक्त इनके साथ संघर्ष रहा. सीमित संसाधन के साथ राज्य की जनता के हक की लड़ाई लड़ी. सामंती विचारधारा के लोगों के साथ लड़ाई लड़ना, कोई साधारण बात नहीं है. आज के समय में बेहद कम ही ऐसे लोग मिलते हैं, जिनके मन में राज्य के प्रति इतना प्रेम हो. आज सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरा देश इन्हें शिबू सोरेन के नाम से जानता है. हेमंत सोरेन ने कहा कि आज मंच पर कई लोग हैं. इसके अलावा कई अन्य लोग भी हैं जिन्होंने शिबू सोरेन के कदम से कदम मिलाकर चलने का काम किया.
सोने की चिड़िया का लोग आकर दोहन करते रहे
उन्होंने कहा कि राज्य अलग होने के बाद ये सोने की चिड़िया था, लेकिन अब हालत कुछ और ही है. राज्य में लोग आते रहे और इसका दोहन करते गए. ये बहुत विचित्र स्थिति है कि जो राज्य पूरे देश का पेट भरता हो, उस राज्य में लोग भूख से मरें. यहां किसानों ने आत्महत्या भी की. जब ये स्थिति आ जाए तो काफी सोचने वाली बात है. अगर किसान आत्महत्या करेंगे तो हम खाएंगे क्या? लेकिन आज किसान बेहाल हैं. किसान आंदोलन को देखा और सुना. ऐसा संघर्ष कभी नहीं देखा होगा. आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा. हक-अधिकार की लड़ाई पूंजीपति नहीं बल्कि गरीब लोग लड़ते हैं. सबसे बड़े लोकतंत्र में आज भी जात-पात और ऊंच-नीच का भेदभाव खत्म नहीं हुआ है.
राज्य गठन के बाद गलत हाथों में चला गया शासन
हेमंत ने कहा कि झामुमो के बलिदान के बाद यह राज्य 15 नवंबर 2000 को राज्य बना. मगर राज्य गठन के बाद शासन गलत हाथों में चला गया. जो झारखंड को लुटने-खसोटने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कैसे इस राज्य का विकास होगा, इसके लिए कोई सोच-विचार नहीं किया गया. इसके कारण यह राज्य पिछड़ापन के कंलक से निकल नहीं पाया.
बहुमत के बाद भी सत्ता से बेदखल करने की मुहिम चली
2019 में डबल इंजन की सरकार को उखाड फेका. बहुमत आने के बाद भी इस सरकार को सत्ता से बेदखल करने का प्रयास किया गया. वास्वत में ये सांमती लोग आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यकों को देखना ही नहीं चाहते हैं. सत्ता को पाने के लिए हर संभव प्रयास किया. मगर पुन : 2025 में राज्य की जनता ने हमें साथ दिया.