जातीय जनगणना का झामुमो ने किया स्वागत, बताया विपक्ष की नैतिक जीत 



अब जातीय गणना होने के बाद ही परिसीमन और नयी आरक्षण पॉलिसी की बातकही


झामुमो ने केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ-साथ जातीय जनगणना कराए जाने के निर्णय का स्वागत किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह पूरे देश के विपक्ष की नैतिक जीत है. क्योंकि हमलोग लगातार दस वर्षों से इसकी मांग कर रहे थे, मगर देश में सत्तासीन भाजपा इसका लगतार विरोध करता रहा. मगर अब जनदबाव के आगे सरकार को झुकना पड़ा और यह निर्णय लेना पड़ा.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही साथ केंद्र सरकार को झारखंड के ओबीसी समुदाय को 27 प्रतिशत आरक्षण, सरना धर्म कोड और झारखंड के स्थानीय नियोजन नीति पर फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस देश में कई ऐसे राज्य हैं जहां पर करोड़ो की संख्या में आदि और आदिम जनजातीयों के लोग निवास करते हैं. इसलिए अगर इसे आप नहीं लेते हैं तो यह जातीय जनगणना आधा-अधूरा प्रयास होगा. आप हिंदु में भी देखेंगे तो कई जातियां हैं. इस्लाम के अंदर भी कई जातियां हैं. सिख धर्म में कई सेक्टर हैं. ऐसे ही सरना धर्म कोड को लागू हो. पहले जनगणना हो जाए तब ही परिसीमन हो. क्योंकि 2029 में महिला  आरक्षण भी लागू होना है. यह निर्णय भी केंद्र सरकार का है. जातीय जनगणना के आधार पर ही अब आपको आरक्षण देना होगा. क्योंकि इसके बाद आरक्षण की सीमा को बांध नहीं सकते हैं. झारखंड सरकार नया जातीय आरक्षण का प्रस्ताव भेज चुकी है. सुप्रियो ने कहा कि जब-जब देश की जनता मुखर होकर सामने आयी है तब-तब केंद्र सरकार को पीछे हटना पड़ा. चाहे वह तीन किसान कानून ही क्यों न हो. अगर यह काम दस साल पहले हो जाता तो अच्छा होता.
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