राज्य को जल्द मिलेगी पांच मेडिकल कॉलेजों की सौगात  -  डॉ इरफान अंसारी



राज्य में पहली बार रक्त विकार से संबंधित देश का सबसे बड़ा साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस नौवां वार्षिक इस्टर्न हेमेटोलॉजी ग्रुप कांग्रेस का आयोजन होटल रेडिसन ब्लू में किया गया। यह कॉन्फ्रेंस 23 से 25 मई तक चलेगा। यह आयोजन रिम्स और सदर अस्पताल के सहयोग से किया जा रहा है। सम्मेलन का विषय हेमाक्वेकस्टे: नेवीगेशन हेमाटोलॉजी फ्रंटर्स टूगेदर है। यह हेमेटोलॉजी की गतिशीलता और निरंतर विकास को दर्शाता है। कार्यक्रम का आयोजन झारखंड के एकमात्र हेमेटोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक रंजन, डॉ अजय के महलका, डॉ शेफाली किशोर और सिविल सर्जन डॉक्टर प्रभात कुमार की पहल पर किया जा रहा है। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में स्वास्थ्य मंत्री (झारखंड सरकार) डॉ इरफान अंसारी, वित्त मंत्री (झारखंड सरकार) राधा कृष्ण किशोर और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय शामिल हुए।
मौके पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि राज्य के लोगों को रक्त से संबंधित कोई भी गंभीर बीमारी होती है तो उन्हें इलाज के लिए राज्य के बाहर जाना पड़ता है। इसके लिए हम जनता को जांच और अन्य सुविधाएं देने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि आज ज़्यदातर लोग किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। राज्य के संपूर्ण विकास के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र का विकास करना बहुत जरूरी है। बहुत जल्द राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में रक्त से सम्बंधित बीमारी सहित अन्य गंभीर बीमारियों से संबंधित जांच और अन्य सुविधाएं जनता को उपलब्ध कराई जाएंगी।
24 जिलों में कैंसर सेंटर खोलने का प्रयास  - राधाकृष्ण किशोर
वहीं इस अवसर पर वित्त मंत्री ने कहा कि हम बेहतर स्वास्थ्य सुविधा राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें झारखंड के हित में काम करना है और जो भी कमी है उस पर काम करते हुए झारखंड को स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर करना है। राज्य में बोन मैरो और कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के लिए पूर्ण स्वास्थ्य सुविधा होनी चाहिए। हम इसके लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि हम झारखंड के 24 जिलों में कैंसर से संबंधित सेंटर खोलने के लिए प्रयास कर रहे हैं। ताकि, प्रारंभिक स्टेज में इसका पता लगाया जा सके और लोगों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़े।
मौके पर सुबोध कांत सहाय ने कहा की झारखंड में रक्त से जुड़े विकार एवं इससे संबंधित बीमारियों के जागरूकता के लिए अभियान के रूप में पूरे गांव और शहरों में अभियान चलाना चाहिए। ताकि लोगों को रक्त से संबंधित विकारों के बारे में एवं इससे बचाव के बारे में जानकारी मिल सके।
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