विकास में समावेश और विविधता जरूरी: अबूबकर सिद्दिकी
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दिकी ने कहा कि जस्ट ट्रांसजिशन एक हकीकत है और ग्रीन एनर्जी में हमें जाना है आने वाले दिनों में। इन विंदुओं पर किसी को ना तो संदेह है और ना ही यह विमर्श का विषयय है। झारखंड के लिए जस्ट ट्रांसजिशन को एक ऐसे ट्रैन्स्फर्मैशन की ओर ले जाना है जो किसी के साथ भेदभाव ना करे। कोई पीछे ना छूटे खससकर सबसे वंचित समुदाय के लोग।
सिद्दीकी बुधवार को झारखंड जस्ट ट्रांसजिशन नेटवर्क सारथी नेटवर्क के लोकार्पण के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बदलवाव तो होगा ही लेकिन यह बदलाव समावेशी, सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखकर किया गया हो और टिकाऊ हो। सबसे कमजोर आदमी को भी साथ में लेना है। इसके लिए हर एक फील्ड के एक्सपर्ट की जरूरत होगी। झारखंड जस्ट ट्रांसजिशन टास्क फोर्स को सभी स्टेक होल्डर्स के साथ काम करने की जरूरत है।
झारखंड को पर्यावरणीय स्थिरता, सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए बुधवार को 30 से अधिक सिविल सोसाइटी संगठनों ने मिलकर "सारथी – झारखंड जस्ट ट्रांजिशन नेटवर्क" का गठन किया। यह नेटवर्क देश का पहला सिविल सोसायटी संगठनों का नेटवर्क है, जो जस्ट ट्रांजिशन पर काम करेगा। नेटवर्क गठन के दौरान दो सेशन में कार्यक्रम हुआ। पहले में आमंत्रित विशेषज्ञ अतिथियों ने जस्ट ट्रांजिशन को लेकर अपनी बातें रखीं।वहीं, दूसरे सेशन में एनजीओ प्रतिनिधियों ने इस नेटवर्क को सफल बनाने और आगामी कार्यक्रमों पर पैनल डिस्कशन किया।बता दें कि यह नेटवर्क झारखंड राज्य के लिए हरित एवं समावेशी और सतत विकास के लिए राज्य सरकार, सामाजिक संगठनों, शोध संस्थाओं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ काम करेगा।
झारखंड सरकार में सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स के चेयरपर्सन रिटायर्ड आईएफएस ए.के. स्तोगी ने कहा कि झारखंड से कोयला कई राज्यों में जाता है। प्रदेश के 18 जिलों की इकोनॉमी फॉसिल फ्यूल पर टिकी है। 70 प्रतिशत बिजली आज भी देश में कोयले से बन रही है। इसीलिए रातों-रात बदलाव नहीं आ सकता, लेकिन बदलाव लाने के लिए सारथी जैसे नेटवर्क की जरूरत है। जस्ट ट्रांजिशन के लिए एक पॉजिटिव नैरेटिव बनाने की जरूरत है। ताकि इसके प्रति लोग जागरूक हों।
नाबार्ड झारखंड के सीजीएम गौतम कुमार सिंह ने कहा कि क्लाइमेट चेंज, टिकाऊ कृषि, जलवायु समर्थ कृषि पर समुदायों के साथ काम कर रहा है। नाबार्ड 1990 के दशक से जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहा है। झारखंड में तसर के प्लांटेशन बढ़ाने में कई संस्थाओं और समुदायों के साथ भी काम शुरू किया है। झारखंड में 250 से अधिक FPOs हैं। इससे किसानों को अपने उत्पाद खुद ही मार्केट करने के अवसर पैदा हो रहे हैं।
सीएमपीडीआई के तकनीकी निदेशक शंकर नागाचारी ने बताया कि भारत सरकार ने जनवरी 2025 में माइन क्लोजर को लेकर एक समग्र गाइडलाइन जारी किया है। इसमें माइन क्लोजर के लिए इको रेस्टोरेशन, मछली पालन, माइन वाटर इरिगेशन, इको पार्क सहित कई अन्य टिकाऊ और रोजगारोन्मुखी संरचना निर्माण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस प्लान को लेकर समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की जरूरत है।
इस मौके पर विधायक उमाकांत रजक ने कहा कि वैकल्पिक आजीविका के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग करने की जरूरत है। वन उत्पादों से ग्रामीणों की आजीविका सुनिश्चित हो सकती है। फ़िया फाउंडेशन के निदेशक जॉनसन टोपनो ने कहा, “ सारथी नेटवर्क के उद्देश्यों की जानकारी दी।कार्यक्रम का संचालन ऋचा ने किया।
इस मौके पर दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। तटकनिकी सत्रों में सिविल सोसाइटी की जस्ट ट्रांजिशन में भूमिका और जस्ट ट्रांजिशन में सीएसआर और अन्य संस्थाओं के विटीय निवेश पर चर्चा हुई। इस सत्र में कृष्णकांत, गुलबचन्द्र, रिनी सिन्हा, धीरज होरो, किरण तथा बिटिया मुर्मू ने एनजीओ की भूमिका पर चर्चा की। दूसरे सत्र में नाबार्ड के राकेश कुमार सिन्हा, पीडवबलूसी के पीरिश विषवाल तथा अनिल उरांव ने जस्ट ट्रांजिशन के लिए उपलब्ध वित्तीय संसाधनों की जानकारी दी। इस सत्र का संचालन सुधीर पाल ने किया। सारथी नेटवर्क का गठन सराहनीय प्रयास है।
कार्यक्रम में झारखंड के 50 से ज्यादा संस्थाओं ने भाग लिया।