वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने गो उद्यमिता विकास पर आधारित तकनीकी सत्र में गौ शालाओं और गो माताओं के महत्व को स्वीकार किया। कहा कि झारखंड गौ सेवा आयोग के स्तर से आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला के जरिए पता लगा कि गौमाता की और कितनी खासियत है। वे गौ सेवा आयोग की ओर से आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले हमसब दूध, दही, पनीर के बारे में पता था। पर सच यह है कि गोमाताओं से हमारी अर्थव्यवस्था, संस्कृति कितनी विकसित होती रही है। हर भारतीय के मन में अपने देश के लिए जितना प्रेम रहता है, गोमाताओं के प्रति भी रहती है।
विकास में गौमाताओं का सबसे अहम योगदान
मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि दुनिया की जितनी सभ्यताएं उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक की रही है, उसमें सभ्यताओं के विकास में गौमाताओं का सबसे अहम योगदान रहा है। मंत्री ने गोमाताओं के महत्व को रेखांकित करते कहा कि मां की कोख से जन्म लेने के बाद वे गाय का दूध पीकर बडे हुए। उसका ही असर और परिणाम है कि वः आज राज्य में वित्त मंत्री के तौर पर जवाबदेही संभाल रहे हैं।
झारखंड में पशुधन की कमी नहीं
मंत्री ने कहा कि उन्होंने कनाडा, स्विट्जरलैंड, फ्रांस सहित अन्य देशों के विकास क्रम को भी देखा। इन देशों के आर्थिक विकास में सबसे बड़ा योगदान पशुधन का है। हमारा देश भगवान विष्णु, मर्यादा पुरुषोत्तम राम का देश रहा है। यहां पशुधन की कमी नहीं रही है। पर सच यह है कि अलग राज्य बने झारखंड को 25 साल हो गये। पर पशुधन मामले में कोई रोडमैप देखने को यहां नहीं मिला। जब से हेमंत सोरेन सरकार आयी, इस दिशा में पहल हुई है। झारखंड की भी अर्थव्यवस्था में पशुधन की अहमियत रही है। पर राज्य की आवश्यकता के अनुसार दूध की उपलब्धता नहीं दिखती थी।