झारखंड में मनरेगा दम तोड़ता नजर आ रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 73 लाख में से सिर्फ 20 लाख परिवारों को ही काम मिला। 53 लाख परिवारों को काम नहीं मिला। शनिवार को नरेगा वॉच व लिबटेक इंडिया ने इसको लेकर रिर्पोट जारी किया। लिबटेक इंडिया दद्वारा जारी मनरेगा पर नवीनतम रिपोर्ट में झारखंड की स्थिति पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक ओर मनरेगा में पंजीकरण करने वाले परिवारों की संख्या बढ़ी है, वहीं उन्हें दिया जाने वाला रोजगार घट गया है।
पंजीकरण बढ़ा, लेकिन रोजगार घटा
रिर्पोट के अनुसार वितीय वर्ष 2024-25 में परिवारों के पंजीकरण में 5.2% की वृद्धि हुई है, लेकिन कार्य करने वाले पंजीकृत परिवारों और मज़दूरों की भागीदारी में क्रमशः 7.4 और 9.7 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि देश में कार्य करने वाले परिवारों में 3.5% की गिरावट आई, जिससे झारखंड की स्थिति और भी कमजोर दिखती है।
मानव-दिवस सृजन में ज्यादा गिरावट
झारखंड में मनरेगा अंतर्गत पंजीकरण बढ़ने के बावजूद मानव-दिवसों में 8% की गिरावट दर्ज की गई है। यह राष्ट्रीय स्तर पर हुई 6.9% की गिरावट से भी अधिक है। झारखंड में 100 दिन काम पूरा करने वाले परिवारों की संख्या 18% घटी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह गिरावट 9.3% रही।लगभग 82 हजार परिवारों ने 100 दिन का रोजगार पूरा किया, 2023-24 के 1 लाख परिवारों की तुलना में कम है।
24 में से 20 जिलों में मानव-दिवस में गिरावट
रिर्पोट के अनुसार राज्य के 24 में से 20 जिलों में मानव-दिवस में गिरावट दर्ज की गई।सबसे ज्यादा मानव-दिवस में गिरावट वाले जिले साहेबगंज (27%), जामताड़ा (22.9%), रामगढ़ (18.6%), लोहरदगा (18.5%) हैं। सिर्फ चार जिलों में से गढ़वा जिले में सबसे ज्यादा 2.7% मानव-दिवस की वृद्धि 2024-25 में हुई है। चार आदिवासी बहुल जिलों- खूंटी, सिमडेगा, गुमला, और पश्चिम सिंहभूम में नकारात्मक रुझान दिखाः इन जिलों में मानवे-दिवस में क्रमशः 8.8%, 11.6%, 10.7%, और 5.8% की गिरावट हुई।
वितीय वर्ष 2024-25 के दौरान रोजगार में उतार-चढ़ाव
वित्तीय वर्ष की शुरुआत एक सकारात्मक रुझान के साथ हुई, जहाँ अप्रैल 2024 में पिछले वर्ष अप्रैल 2023 की तुलना में 6.2% अधिक मानव-दिवस उत्पन्न किए गए। इसके बाद मई से सितंबर के बीच मानव-दिवसों में तेज गिरावट दर्ज की गई, गिरावट का कारण मानसून में अधिक और समय से बारिश होना हो सकता है। लेकिन अक्टूबर से जनवरी के बीच वित्तीय वर्ष 2024-25 में मजबूत सुधार देखने को मिला।
घोषित मजदूरी दर बढ़ने के बावजूद प्राप्ति दर कम
झारखंड में मजदूरों को घोषित मजदूरी से औसतन 10% कम भुगतान मिला, जो पिछले साल 10.6% था। 2024-25 में घोषित मजदूरी 272 रुपये थी, लेकिन औसतन मजदूरी 245 रुपये ही मजदूरों को मिला घोषित मजदूरी में वृद्धि के बावजूद, 2024-25 में अकुशल मजदूरी पर खर्च 2023-24 की तुलना में 95.2 करोड रुपए घट गया।