केंद्रीय सरना समिति एवं विभिन्न आदिवासी संगठनों ने पेसा कानून अधिनियम 1996 को लागू करने की मांग को लेकर राजभवन मार्च किया। बाद में एक ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा गया। चार दिवसीय कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को गुमला जिला के लिटा टोली से पंखराज बाबा कार्तिक उरांव के जन्म स्थल से नमन करते हुए निशा भगत कीर्तन अगुवाई में सिसई, भरनो, बेड़ो, कटहल मोड़, होते हुए आईटी आई बजरा पहुंचा। समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि पेसा कानून से आदिवासी समाज के एवं झारखंड के विभिन्न जिलों के पाहन,पईनभोरा,कोटवार, महतो, मानकी मुण्डा, बैगा आदि जैसे लोगों को मिलने वाले अधिकार संरक्षित हो सके। पेसा कानून पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार अधिनियम 1996 भारत में अनुसूचित क्षेत्रों पांचवीं अनुसूची में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन और उनके प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार प्रदान करने के लिए बनाया गया है। हेमंत सोरेन सरकार आदिवासियों की परंपरागत व्यस्था को नष्ट करने में लगी हैं। एक विशेष समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए, आदिवासियों की धर्म संस्कृति रीति रिवाज रुढ़िवादी प्रथा को खत्म करना चाहती है इसलिए हेमंत सोरेन सरकार झारखंड में पेसा कानून अधिनियम 1996 लागू नही कर रही हैं।