जनगणना कॉलम में कुड़मी जाति व कुड़मालि भाषा का हो  कॉलम  : डॉ लंबोदर महतो



आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव व पूर्व विधायक डॉ लंबोदर महतो ने राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष गंगवार से  मिलकर उनका ध्यान कुड़मालि भाषा के संवर्धन ,संरक्षण व विकास की ओर आकृष्ट कराया। उन्होंने उनसे जनगणना में जनजाति नाम कुड़मी एवं भाषा नाम कुड़मालि हेतु कॉलम करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कुड़मालि भाषा को 8वीं अनुसूची में व कुड़मी को जनजाति सूची में शामिल करने की भी मांग की है। उन्होंने राजभवन में राज्यपाल को इस बात से अवगत कराया कि झारखंड में कुड़मालि भाषा बोलने वालों की संख्या 70 प्रतिशत से ज्यादा है। यहां की जनजाति कुड़मी की मातृभाषा अतिप्राचीन काल से रही है। लेकिन अति दु:ख की बात है कि 1951 की जनगणना से ही इसका कोड विलुप्त कर दिया गया। उन्होंने राज्यपाल से कुड़मालि भाषा-साहित्य में नेट/जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण  किए  हुए छात्रों को पीएचडी में पंजीकरण बनवाने में आ रही विसंगतियों पर चर्चा करते हुए सात बिन्दुओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हूए उनसे  छात्र हित में कुड़मालि विषय में नेट/जेआरएफ पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों को रांची विश्वविधालय के मानविकी संकाय (संस्कृत, हिन्दी, बांग्ला, दर्शन शास्त्र, अंग्रेजी, उर्दू  आदि सभी विषयों ) के शिक्षक/शिक्षिका के शोध निर्देशन में पीएचडी शोध कार्य करने और धनबाद स्थित बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में सह निर्देशक की अनिवार्यता को शिथिल करते 

हुए केवल मानविकी संकाय के शोध निर्देशक के बदौलत कुड़मालि विषय में पीएचडी शोध कार्य करने की अनुमति प्रदान करने का आग्रह  किया। राज्यपाल से मिलने वालों में दीपक पुनअरिआर, डॉ उषा किरण, जगदानंद महतो, मुकेश महतो, आयुष नंदन, अभिषेक कुमार एवं मुकेश कुमार महतो शामिल थे।
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